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    भारतीय ब्रांड वाले नमक और चीनी में पाए गए माइक्रोप्लास्टिक्स

    microplastics in india brand salt and sugar

    नमक और चीनी के अत्यधिक सेवन को सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए कई तरह से हानिकारक माना जाता है। इसका ज्यादा उपयोग डायबिटीज, शरीर में सूजन, उच्च रक्तचाप और दिल की बीमारियों का जोखिम बढ़ा सकता है। इसके अलावा, नमक और चीनी का अधिक सेवन कैंसर का खतरा भी बढ़ा सकता है। असल में एक हालिया अध्ययन में पता चला है कि भारतीय ब्रांड वाले नमक और चीनी में माइक्रोप्लास्टिक्स हो सकते हैं। नमक और चीनी चाहे पैक्ड हों या अनपैक्ड लगभग सभी में माइक्रोप्लास्टिक्स पाए गए हैं। गौरतलब है कि माइक्रोप्लास्टिक्स को कैंसर के प्रमुख कारकों में से एक माना जाता है।

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    माइक्रोप्लास्टिक्स कैंसर और तंत्रिका विकारों का खतरा बढ़ा सकते हैं

    पर्यावरण अनुसंधान संगठन टॉक्सिक्स लिंक ने मंगलवार (13 अगस्त) को इस अध्ययन को ‘माइक्रोप्लास्टिक्स इन सॉल्ट एंड शुगर’ नाम से प्रकाशित किया है। शोधकर्ताओं ने कहा माइक्रोप्लास्टिक्स वाली चीजें कई प्रकार के कैंसर के साथ मस्तिष्क और तंत्रिकाओं से संबधित विकारों को भी बढ़ाने वाली हो सकती हैं। सभी लोगों को ऐसी चीजों को लेकर विशेष सावधानी और सतर्कता बरतते रहने की आवश्यकता है।

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    आयोडीन युक्त नमक में सबसे अधिक मात्रा

    इस अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने भारत में बिकने वाले टेबल सॉल्ट, सेंधा नमक, समुद्री नमक और स्थानीय कच्चा नमक जैसे 10 प्रकार के नमकों पर अध्ययन किया। इसके साथ ऑनलाइन और स्थानीय बाजारों से खरीदी गई पांच प्रकार की चीनी का भी परीक्षण किया गया। अध्ययन में सभी नमक और चीनी के सैंपल में फाइबर और छोटे टुकड़ों सहित विभिन्न रूपों में माइक्रोप्लास्टिक्स की उपस्थिति का पता चला। इन माइक्रोप्लास्टिक्स का आकार 0.1 मिमी से 5 मिमी तक था। आयोडीन युक्त नमक में माइक्रोप्लास्टिक्स की उच्चतम मात्रा पाई गई।

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    चीनी में भी पाई गई मात्रा

    चीनी के सैंपलों में माइक्रोप्लास्टिक की सांद्रता 11.85 से 68.25 टुकड़े प्रति किलोग्राम तक थी, जिसमें सबसे अधिक सांद्रता नॉन-ऑर्गेनिक चीनी में पाई गई। चूंकि हमारे घरों में नमक और चीनी दोनों का रोजाना सेवन किया जाता रहा है इसलिए जोखिमों को लेकर अलर्ट रहना बहुत जरूरी है। अध्ययनों में पाया गया था कि औसत भारतीय हर दिन 10.98 ग्राम नमक और लगभग 10 चम्मच चीनी खाता है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की अनुशंसित सीमा से बहुत अधिक है। इसमें माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी और भी चिंता बढ़ाने वाली मानी जा रही है।

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    माइक्रोप्लास्टिक के हो सकते हैं कई नुकसान

    हाल ही में किए गए शोध में फेफड़े, हृदय जैसे मानव अंगों और यहां तक कि स्तन के दूध और अजन्मे शिशुओं में भी माइक्रोप्लास्टिक पाया गया है। शोधकर्ताओं ने कहा अगर आप भी प्लास्टिक की बोतल में पानी पीते हैं तो भी सावधान हो जाइए। प्लास्टिक की बोतल में प्रत्येक लीटर पानी में प्लास्टिक के 100,000 से अधिक सूक्ष्म टुकड़े हो सकते हैं।  केवल एक बोतल पानी पीने से हम 10 गुना अधिक मात्रा में प्लास्टिक को शरीर में प्रवेश की अनुमति दे रहे होते हैं। प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े जो बोतलों की परतों से निकालते हैं उन्हें माइक्रोप्लास्टिक्स और नैनोप्लास्टिक्स कहा जाता है। ये समय के साथ शरीर में कई बीमारियों का कारक हो सकते हैं।

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    3 thoughts on “भारतीय ब्रांड वाले नमक और चीनी में पाए गए माइक्रोप्लास्टिक्स”
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