अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर यात्री अंतरिक्ष यात्रा के दौरान प्रतिरोधक क्षमता में कमी आती है। लेकिन उनकी सेहत धरती पर लौटने के बाद फिर से सामान्य हो जाती है। हालांकि, हाल ही में स्वीडन के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में यह बात साबित की गई है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, अंतरिक्ष में कदम रखते ही सबसे पहले अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर को कॉस्मिक विकिरण का सामना करना पड़ता है। इसके बाद माइक्रोग्रैविटी यानी शून्य गुरुत्व शरीर के द्रवों (तरल पदार्थों) और रक्तचाप पर प्रभाव डालता। प्रतिरक्षा तंत्र के साथ हृदय, रक्त संचार, पाचन, मांसपेशियों, हड्डियों से जुड़े तंत्रों से लेकर प्रतिरोध प्रणालियों तक पर असर पड़ता है। शून्य गुरुत्व बल के कारण अंतरिक्ष में स्वास्थ्य देखभाल बहुत ही मुश्किल हो जाती है।
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अंतरिक्ष यात्री के शरीर में वायरस संक्रमण: स्वास्थ्य पर संकेत
कोलोन मेडिकल कॉलेज के स्पेस हेल्थ के शोधकर्ता योखन हिन्केलबाइन डीडब्लू ने बताया कि अंतरिक्ष यात्री वायरस संक्रमणों के प्रभाव में आ सकते हैं और आमतौर पर वे पुराने वायरस हो सकते हैं, जो किसी अंतरिक्ष यात्री के शरीर में धरती से ही मौजूद होते हैं। ओटावा यूनिवर्सिटी, कनाडा के मुताबिक, यात्री में सुप्त अवस्था में पड़े वायरस फिर से सक्रिय हो सकते हैं, जिससे त्वचा संक्रमण भी प्रकट हो सकते हैं।
लानेइयुविले के मुताबिक यात्रियों में ऐसे संक्रमणों की मियाद बहुत कम समय की होती है। यात्री के धरती पर लौटने के कुछ समय बाद ही ये खुदबखुद ठीक हो जाते हैं, 4-5 हफ्तों में प्रतिरोधक तंत्र भी सामान्य काम करने लगता है।
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