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    इंस्टाग्राम, फेसबुक, स्नैपचैट, ट्विटर, रेडिट, लिंक्डइन.. से डिजिटल डिटॉक्स की जरूर ।

    आज दुनिया में ज्यादातर लोग इनमें से किसी न किसी सोशल मीडिया ऐप का इस्तेमाल जरूर कर रहे हैं।

    इसके चलते वे स्ट्रेस, एंग्जाइटी और डिप्रेशन जैसी मानसिक बीमारियों का शिकार बनते जा रहे हैं।

    इन रोगों से बचने के लिए हेल्थ एक्सपर्ट्स डिजिटल डिटॉक्स के कॉन्सेप्ट को एक्सप्लोर कर रहे हैं।

    हाल ही में इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ के रिसर्चर्स ने एक शोध में बताया है कि सोशल मीडिया से मात्र एक हफ्ते का ब्रेक आपकी मेंटल हेल्थ में सुधार ला सकता है।

    एंग्जाइटी के लक्षणों से जूझ रहे हैं तो सिर्फ एक सप्ताह में ही इन्हें कम किया जा सकता है।

    क्या है डिजिटल डिटॉक्स?

    विशेषज्ञों के अनुसार जिस तरह लोगों को शराब और सिगरेट की लत लगती है।

    उसी तरह उन्हें वर्चुअल वर्ल्ड में भी रहने की आदत हो जाती है। वो चाहकर भी इससे बाहर नहीं निकल।

    ऐसे में तकनीक के मायाजाल से खुद को दूर रखने के लिए कुछ समय के लिए डिजिटल छुट्टी पर जाने को ही ‘डिजिटल डिटॉक्स’ कहते हैं।

    सोशल मीडिया से छोटा ब्रेक भी मददगार

    रिसर्चर जेफ लैंबर्ट का कहना है कि सिर्फ एक हफ्ते में ही पहले ग्रुप के लोगों का मूड बेहतर हुआ और एंग्जाइटी के लक्षण कम हुए।

    इसका मतलब सोशल मीडिया से छोटे-छोटे ब्रेक्स भी मेंटल हेल्थ पर पॉजिटिव असर डाल सकते हैं।

    डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन में सोशल मीडिया इस्तेमाल करने वालों की संख्या 2011 में 45% से बढ़कर 2021 में 71% जा पहुंची है।

    साथ ही, 16 से 44 की उम्र के 97% लोग सोशल मीडिया ऐप्स का यूज करते हैं।

    ऐप्स पर कंटेंट ‘स्क्रोल’ करना यूजर्स की सबसे कॉमन एक्टिविटी है।

    कुछ ऐसी ही स्टडीज पहले भी अमेरिका और ब्रिटेन में की जा चुकी हैं।

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