राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। लेकिन आज प्रदेश के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने इस याचिका को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस संबंध में राजस्थान सरकार के अतिरिक्त एडवोकेट जनरल शिवमंगल शर्मा ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है, ताकि इस याचिका को जल्द वापस लिया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट में CAA के खिलाफ राजस्थान सरकार की याचिका की सुनवाई की स्थिति
मनीष सिंघवी ने 16 मार्च को गहलोत सरकार के संदर्भ में उक्त याचिका को सुप्रीम कोर्ट में दायर किया था। उस समय अशोक गहलोत ने इस कानून के खिलाफ राजस्थान सरकार का सख्त विरोध जताया था। केरल और पंजाब की सरकारें भी नागरिकता कानून के खिलाफ अपनी विधानसभाओं में प्रस्ताव पारित कर चुकी हैं। केरल सरकार ने इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी कानूनी रूप से विरोध जताया है। उस समय जब यह याचिका दायर की गई थी, तब देशभर में कांग्रेस पार्टी ने सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था और इस प्रकार सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थीं।
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सुप्रीम कोर्ट का आग्रह: आवेदनों पर तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र से आवेदनों पर तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने का आग्रह किया है, जो नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। इस मामले में सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने 9 अप्रैल को सुनवाई करने का निर्णय लिया है। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा है कि उन्हें 20 आवेदनों पर जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय चाहिए। ये आवेदन उन्होंने दायर किए हैं जिनमें नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए), 2019 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णय लिए जाने तक संबंधित नियमों पर रोक लगाई जानी चाहिए। मेहता ने पीठ से कहा, ‘यह (सीएए) किसी भी व्यक्ति की नागरिकता नहीं छीनता.’
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