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    अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद भुखमरी जैसे हालात बन गए हैं।

    इस परेशानी में भारत इंसानी मदद के तौर पर अफगानिस्तान के लिए गेहूं और दवाइयां भेज रहा है।

    इसके लिए पाकिस्तान के वाघा बॉर्डर रूट का इस्तेमाल कर रहा था।

    पिछले महीने 21 तारीख को पाकिस्तान की तरफ से इस रूट के इस्तेमाल की इजाजत की मियाद खत्म हो गई।

    पाकिस्तान की नई सरकार ने भारत को दो महीने के लिए फिर से यह रास्ता इस्तेमाल करने की परमिशन।

    भारत सरकार ने हाल ही में 50,000 टन गेहूं और जरूरी दवाओं के ट्रांसपोर्टेशन के लिए पाकिस्तान से यह रास्ता इस्तेमाल करने देने की अपील की थी।

    भारत के लिए तौर तरीके पहले वाले ही रहेंगे

    पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा- अफगानिस्तान संकट को दूर करने के लिए हमने भारतीय ट्रांसपोर्टेशन सुविधा को दो महीने बढ़ाने का फैसला किया है।

    इसके सभी तौर तरीके वही होंगे जो भारत को पहले बताए गए थे।

    भारत ने किया था मदद भेजने का वादा

    भारत ने पिछले साल अफगानिस्तान को 50 हजार टन गेहूं देने का वादा किया था।

    इसे पूरा करने के लिए 2 महीने पहले अफगानिस्तान के लिए 2500 टन गेहूं की पहली खेप अटारी-वाघा सीमा के रास्ते पाकिस्तान से होते हुए रवाना की गई थी।

    इस बारे में भारतीय हाई कमिश्नर को जानकारी दे दी गई है।

    पाकिस्तान होते हुए अफगानिस्तान जाती है मदद

    भारत ने अमेरिका और UN की अपील पर अक्टूबर 2021 को 50 हजार टन गेहूं, दवाइयां और मेडिकल इक्विपमेंट्स भेजने का ऐलान किया था। इसके लिए पाकिस्तान से मदद मांगी थी।

    क्योंकि ट्रकों के जरिए अटारी-वाघा बॉर्डर से यह माल पहले पाकिस्तान और फिर अफगानिस्तान भेजा जा रहा है।

    इसमें तीन फायदे हैं। दूसरा- जल्दी और आसानी से माल भेजा जा रहा है।

    तीसरा- अफगान अवाम तक यह मदद पहुंचाने में आसानी होती।

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