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    चीन में कोरोना से बचने को लेकर जीरो कोविड पॉलिसी फेल साबित हुई है। ड्रैगन में तैयार की गई साइनोवैक वैक्सीन भी कोरोना से मुकाबले में फिसड्डी साबित हो रहा है। 2.60 करोड़ की आबादी वाली चीन की आर्थिक राजधानी शंघाई में अब तक के सबसे बड़े कोरोना विस्फोट के चलते पिछले दो हफ्ते से लॉकडाउन लगा हुआ है।

    अहम बात यह है कि शंघाई के 87% लोगों को साइनोवैक की डोज लगी थी।

    लेकिन ओमिक्रॉन और XE वैरिएंट की वजह से इस वैक्सीन की पोल खुल गई है।

    अब ड्रैगन सरकार शंघाई की 2.26 करोड़ आबादी को देसी हर्बल दवा बांट रही है।

    चीनी अधिकारियों का मानना है कि इस हर्बल दवा के इस्तेमाल से लोगों को कोरोना के नए वैरिएंट।

    और फ्लू के खिलाफ बेहतर इम्युनिटी मिल सकती है।

    कम्युनिस्ट पार्टी के अखबार पॉलिसी का बचाव किया

    वहीं, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख अखबार पीपुल्स डेली ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पॉलिसी का बचाव किया है।

    अखबार के मुताबिक, ये पॉलिसी जान बचाने और अर्थव्यवस्था को चालू रखने के लिए जरूरी है।

    हालांकि, शंघाई में 21,000 से अधिक नए मामले दर्ज किए गए हैं।

    ये मामले पॉलिसी के बचाव को लेकर किए जा रहे दावे के उलट साबित हो रहे हैं।

    पीपुल्स डेली ने अपने फ्रंट पेज के एक कालम में लिखा है कि तेजी से फैलने वाले ओमिक्रॉन वैरिएंट ने महामारी को रोकना और मुश्किल बना दिया है।

    अखबार ने लिखा- हमें बिना किसी हिचकिचाहट के जीरो कोविड पॉलिसी का पालन करना चाहिए।

    ये कमेंट इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि चीन महामारी की शुरुआत के बाद से सबसे खराब कोरोना संकट का सामना कर रहा है।

    शंघाई में गुरुवार को 21,22 कोरोना केस मिले हैं, जबकि रविवार को 9 हजार मामले दर्ज किए गए थे।

    जीरो कोविड पॉलिसी को लेकर यहां कड़े प्रतिबंध लागू किए गए।

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