जेद्दा से मैड्रिड के बीच गुरुवार को पहली ग्रीन फ्लाइट ने उड़ान भरी। कई भारतीय भी इस ऐतिहासिक उड़ान का हिस्सा बने। यह फ्लाइट जलवायु परिवर्तन रोकने को लेकर दुनिया की पहली ग्रीन फ्लाइट के रूप में दर्ज होगी।
इसके उड़ान के लिए हर स्तर पर विमान के कार्बन फुट प्रिंट कम करने के इंतजाम किए गए।
इसमें यात्रियों के बैगेज से लेकर उनके खान-पान की पहले से सटीक जानकारी दर्ज की गई।
फ्लाइट से 8 से 10 हजार किलो कार्बन का उत्सर्जन रोकने की व्यवस्था
इस तरह एक ही फ्लाइट से 8 से 10 हजार किलो कार्बन का उत्सर्जन रोकने की व्यवस्था की गई। बदले में यात्रियों को जलवायु परिवर्तन के खतरे से बचाने के लिए ग्रीन प्वाइंट्स दिए गए। इस प्वाइंट्स का इस्तेमाल यात्री अगली उड़ानों में कर सकेंगे।
यात्रियों से पहले ही पूछा गया कि वे कितना किलो सामान लेकर आएंगे।
यदि किसी यात्री ने 7 किलो कम वजन लेकर आया, तो उसे 700 ग्रीन प्वाइंट्स दिए गए।
पहले हर यात्री को विमान में 23-23 किलो के दो बैग ले जाने की इजाजत थी।
स्काई टीम ने ग्रीन फ्लाइट में हिस्सेदारी करने का बीड़ा उठाया
10 घंटे की उड़ान में 7 किलो वजन कम होने से 36 किलो कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) कम निकलती है। यदि 200 यात्रियों ने अपना इतना ही वजन कम किया तो एक ही उड़ान से 7200 किलो कार्बन ऑक्साइड बनने से रुक गई। इसी तरह खाने में शाकाहारी और ऑर्गेनिक विकल्प चुनने पर अधिक ग्रीन प्वाइंट्स दिए गए, जबकि मांसाहारी यात्रियों को कम ग्रीन प्वाइंट मिले।
भारतीय यात्री अलका ने बताया कि उन्होंने शाकाहारी भोजन, कम बैगेज से 900 ग्रीन प्वाइंट्स अर्जित किए।
स्काई टीम ने सस्टेनेबल फ्लाइट चैलेंज के सहयोग से ग्रीन फ्लाइट में हिस्सेदारी करने का बीड़ा उठाया है।