पाकिस्तान में सरकार उठापटक के बीच प्रधानमंत्री इमरान खान की सिफारिश पर राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने नेशनल असेंबली भंग कर दी है। 90 दिन के भीतर चुनाव कराए जाएंगे। इमरान ने असेंबली भंग होने के बाद कहा- विपक्ष को समझ ही नहीं आ रहा है कि हो क्या गया है? हम अब जनता के बीच जाएंगे और विदेशी साजिश का खुलासा करेंगे।
पाकिस्तान में यह पहली बार नहीं है, जब किसी प्रधानमंत्री ने संसद भंग करने की कामयाब सिफारिश की हो। इससे पहले 1993 में नवाज शरीफ ने असेंबली भंग की थी, लेकिन उसके बाद होने वाले चुनाव में उन्हें करारी शिकस्त मिली थी। इतना ही नहीं, 2008 में मार्शल लॉ खत्म कर चुनावी समर में कूदे परवेज मुशर्रफ को भी जनता ने नकार दिया। दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान में आज तक कोई भी प्रधानमंत्री लगातार दूसरी बार चुनाव जीतकर सत्ता में नहीं आ पाया। जाहिर है, इमरान खान के लिए भी सत्ता में वापसी करना आसान नहीं होगा।
पाकिस्तान में सरकार, यह पहली बार नहीं है, जब किसी प्रधानमंत्री ने संसद भंग करने की कामयाब सिफारिश की हो
नवाज भी सत्ता में नहीं लौट सके
नवाज शरीफ 1990 में बेनजीर भुट्टो को हराकर सत्ता में लौटे|
लेकिन 3 साल के भीतर ही तब के राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान से शरीफ की तकरार हो गई|
जिसके बाद शरीफ ने नेशनल असेंबली को भंग कर दिया।
इसके बाद हुए आम चुनाव में नवाज शरीफ की पार्टी हारी और बेनजीर भुट्टो दूसरी बार सत्ता में आईं।
मुशर्रफ को जनता ने नकारा, चुनाव के बाद पाकिस्तान से भागे
पाकिस्तान के सेना के प्रमुख रहे परवेज मुशर्रफ 1999 में सैन्य तख्तापलट कर सत्ता पर काबिज हो गए।
2008 में राष्ट्रपति रहते मुशर्रफ ने चुनाव कराए, लेकिन उनके सहयोगियों को इस चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा।
मुशर्रफ इसके बाद देश छोड़कर भाग गए।
आसिफ अली जरदारी के नेतृत्व वाली PPP की सरकार बनी और युसूफ रजा गिलानी प्रधानमंत्री बने।
असेंबली भंग कर इलेक्शन में उतरे शरीफ को नहीं मिली थी सफलता| बेनजीर-मुशर्रफ भी हारे|