बोलीविया में बुधवार को तख्तापलट की कोशिश नाकाम हो गई। राजधानी ला पाज में राष्ट्रपति पैलेस पर हमला बोलने के बाद बोलीविया के सैनिकों ने इसे अंजाम देने की कोशिश की। आर्मी के टॉप जनरल होजे ज्यूनिगा ने सेना के कुछ सदस्यों के साथ मिलकर सैन्य वाहन के जरिए राष्ट्रपति पैलेस में घुसने की कोशिश की।
हालांकि, तीन घंटे के भीतर ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इस पूरी घटना का लाइव टेलिकास्ट बोलीविया के टेलीविजन पर किया गया। वीडियो के अनुसार, बुधवार को बोलीविया की सिक्योरिटी फोर्स ने शहर के मुख्य चौराहे को घेर लिया था। इसके बाद एक मिलिट्री वाहन राष्ट्रपति पैलेस के दरवाजे पर टक्कर मारते हुए दिखाई दिया और सैनिकों ने अंदर घुसने की कोशिश की। जनरल होजे का कहना था कि वे देश में लोकतंत्र का पुनर्गठन करना चाहते हैं। उन्होंने राष्ट्रपति लुइस आर्से का सम्मान करते हुए कहा कि देश की सरकार में बदलाव लाना जरूरी है। इस बीच, सरकार के समर्थन में जनता सड़कों पर उतर आई, जिन्हें रोकने के लिए सैनिकों ने आंसू गैस का भी इस्तेमाल किया।
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राष्ट्रपति बोले- यह बोलीविया की जनता और लोकतंत्र की जीत
हमले के कुछ समय बाद ही सेना पीछे हट गई और जनरल होजे को गिरफ्तार कर लिया गया। तख्तापलट विफल होने के बाद राष्ट्रपति लुइस आर्से ने कहा कि देश की जनता को लोकतंत्र की रक्षा के लिए एकजुट होने की जरूरत है। उन्होंने इस घटना को बोलीविया के लोगों और लोकतंत्र की जीत बताया।
गिरफ्तार होने से ठीक पहले जनरल होजे ने आरोप लगाया कि उन्हें राष्ट्रपति आर्से ने ही तख्तापलट की कोशिश करने को कहा था। जनरल होजे ने मीडिया को बताया कि राष्ट्रपति ने उनसे देश के हालात पर बातचीत की थी। राष्ट्रपति ने कहा था कि यह हफ्ता सरकार के लिए बेहद अहम है और उन्हें जनता का समर्थन लेने की जरूरत है। जनरल होजे के अनुसार, तख्तापलट की नाकामी से राष्ट्रपति की लोकप्रियता बढ़ने की संभावना है।
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कुछ दिन पहले ही बर्खास्त हुए थे आर्मी जनरल
कुछ दिन पहले ही बर्खास्त हुए थे आर्मी जनरल होजे। बोलीविया की लोकल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जनरल होजे को इसी हफ्ते उनके पद से हटाया गया था। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति इवो मोरालेस को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसके बाद सरकार ने यह फैसला लिया था। लोकल रिपोर्टर्स के मुताबिक, तख्तापलट की कोशिश के दौरान जनरल होजे कुछ समय के लिए पैलेस में दाखिल हुए थे। उनकी सुरक्षा के लिए आसपास नकाबपोश सुरक्षाकर्मी तैनात थे। सरकार की आलोचना करते हुए सेना प्रमुख ने कुछ राजनेताओं और सेना के उन सदस्यों की रिहाई की मांग की थी, जिन्हें गिरफ्तार किया गया था।
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