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    हिरोशिमा जी-7 शिखर सम्मेलन पर पड़ गया है अमेरिका के कर्ज सीमा विवाद का साया

    G-7 meet

    अमेरिका ने छह अगस्त 1945 को हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया था, जिससे हजारों लोग मर गए थे। तब से हिरोशिमा का एक खास प्रतीकात्मक महत्त्व रहा है। जी-7 इस प्रतीक के जरिए रूस को कितना घेर पाएगा, इस पर दुनिया भर से यहां पहुंचे पत्रकार और विश्लेषक कयास लगा रहे हैं

    जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने आए इस समूह के नेता शुक्रवार सुबह यहां परमाणु बम का शिकार हुए लोगों के स्मारक पर गए। जापान ने सबसे धनी देशों के इस समूह का शिखर सम्मलेन हिरोशिमा में आयोजित करने का फैसला एक खास मकसद से किया था। उद्देश्य इसके जरिए दुनिया को परमाणु बम की विभीषिका की याद दिलाना है, ताकि रूस पर यूक्रेन युद्ध में एटमी हथियारों का इस्तेमाल ना करने के लिए दबाव बनाया जा सके।

    अमेरिका ने छह अगस्त 1945 को हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया था, जिससे हजारों लोग मर गए थे। तब से हिरोशिमा का एक खास प्रतीकात्मक महत्त्व रहा है। जी-7 इस प्रतीक के जरिए रूस को कितना घेर पाएगा, इस पर दुनिया भर से यहां पहुंचे पत्रकार और विश्लेषक कयास लगा रहे हैं। जबकि आम संकेत यह है कि जी-7 बैठक में अमेरिका में ऋण सीमा को लेकर चल रहा विवाद और चीन से संबंध विच्छेद के मुद्दे छाए हुए हैं। आशंका है कि अगर अगले हफ्ते- दस दिन में ऋण सीमा पर अमेरिका की दोनों प्रमुख पार्टियों में समझौता नहीं हुआ, तो अमेरिका डिफॉल्ट करने (ऋण ना चुका पाने) को मजबूर हो जाएगा। इससे पूरी दुनिया की वित्तीय व्यवस्था हिल जाएगी।

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