पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध पर भारत ने कहा कि क्षेत्र में सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है तथा सैनिकों के जल्द पीछे हटने से ही सीमावर्ती इलाकों में पूर्ण रूप से शांति बहाली एवं द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति सुनिश्चित की जा सकती है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने डिजिटल माध्यम से आयोजित साप्ताहिक प्रेस वार्ता में यह बात कही।
ऐसे होगी शांति बहाली
पीछे हटने से ही सीमावर्ती इलाकों में पूर्ण रूप से शांति बहाली एवं द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति सुनिश्चित की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख के इन क्षेत्रों से सैनिकों के जल्द पीछे हटने से ही सीमावर्ती इलाकों में पूर्ण रूप से शांति बहाली एवं द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति सुनिश्चित की जा सकती है।
उनसे पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध से जुड़ी ताजा स्थिति के बारे में पूछा गया था।
लद्दाख में सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया अधूरी
उन्होंने कहा, ‘मैं इस बात पर जोर देता हूं कि सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है। दोनों पक्षों के बीच इस बात पर अंतरिम सहमति बनी कि वे जमीनी स्तर पर स्थिरता बनाये रखेंगे और किसी नई घटना से बचेंगे।
‘विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा,’हमें उम्मीद है कि कोई भी पक्ष ऐसा कोई कदम नहीं उठायेगा, जो इस समझ के अनुरूप नहीं हो।’
विभिन्न समझौतों को पालन
गौरतलब है कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पूर्वी लद्दाख गतिरोध के संदर्भ में हाल ही में कहा था कि भारत और चीन के संबंध ऐसे चौराहे पर हैं, जिसकी दिशा इस बात पर निर्भर करती है कि क्या पड़ोसी देश सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए विभिन्न समझौतों को पालन करता है।
वहीं विदेश मंत्री जयशंकर ने इस वर्ष शुरू की गई सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया के बारे में 30 अप्रैल को अपने चीनी समकक्ष के साथ चर्चा की थी। इस बारे में मंत्रालय ने कहा था कि सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है और इसे जल्द पूरा किया जाना चाहिए।
गतिरोध बरकरार
भारत और चीन की सेनाओं के बीच पैंगोंग सो इलाके में पिछले वर्ष हिंसक संघर्ष के बाद सीमा गतिरोध उत्पन्न हो गया था।
इसके बाद दोनों पक्षों ने हजारों सैनिकों एवं भारी हथियारों की तैनाती की थी।
सैन्य एवं राजनयिक स्तर की वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने इस वर्ष फरवरी में पैंगोंग सो के उत्तरी और दक्षिणी किनारे से सैनिकों एवं हथियारों को पीछे हटा लिया था।
हालांकि, समझा जाता है कि कुछ स्थानों पर सैनिकों के पीछे हटने को लेकर अभी भी गतिरोध बरकरार है।