इजराइल और हमास के बीच चल रही जंग के दौरान इजराइल ने सेंट्रल गाजा में 76 साल पुराने नुसीरत रिफ्यूजी कैंप पर हमला किया। इस हमले में एक स्कूल को निशाना बनाया गया, जिसमें 32 लोगों की मौत हो गई, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।
हमास के अल-अक्सा मीडिया के अनुसार, इस हमले में 39 लोगों की जान गई है। इजराइली डिफेंस फोर्स ने इस हमले की पुष्टि की है और दावा किया है कि UNRWA के इस स्कूल में हमास की नुखबा फोर्स के लड़ाके छिपे हुए थे, जिन्हें निशाना बनाकर यह एयरस्ट्राइक की गई। इजराइल और हमास के बीच जंग शुरू होने के बाद से 10 लाख से ज्यादा लोग बेघर हो गए हैं, जिन्होंने गाजा में विभिन्न स्थानों पर स्कूलों और अस्पतालों में शरण ली है। न्यूज एजेंसी AP के अनुसार, नुसीरत रिफ्यूजी कैंप गाजा पट्टी के बीचों-बीच स्थित है। 1948 में इजराइल की स्थापना के बाद लाखों फिलिस्तीनी बेघर हो गए थे और उन्हें शरण देने के लिए नुसीरत कैंप बनाया गया था।
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इजराइल का दावा- हमले में आम नागरिकों को बचाने की कोशिश की
IDF ने दावा किया है कि स्कूल पर हमले से पहले पूरी योजना बनाई गई थी, जिसमें विशेष ध्यान रखा गया था कि वहां मौजूद आम नागरिकों को ज्यादा नुकसान न पहुंचे। इसके लिए इलाके की हवाई निगरानी की गई और इजराइल के इंटेलिजेंस स्रोतों से भी जानकारी जुटाई गई।
हमले के बाद, गाजा में हमास के नेतृत्व वाली सरकार के मीडिया ऑफिस ने भी बयान जारी किया। उन्होंने इस हमले को नरसंहार करार दिया। मीडिया ऑफिस के प्रवक्ता इस्माइल अल-थावब्ता ने कहा कि घायलों को अल-अक्सा मार्टियर अस्पताल में भर्ती किया गया है।
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गाजा के 183 स्कूलों को रिफ्यूजी कैंप बनाया गया
अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, जंग से पहले UN की रिलीफ एंड वर्क एजेंसी (UNRWA) गाजा में 183 स्कूलों को संचालित करती थी। जंग शुरू होने के बाद इन स्कूलों की इमारतों को शरणार्थी कैंप में तब्दील कर दिया गया है। पिछले 8 महीने से जारी इजराइल के हमलों में UNRWA की सुविधाओं में शरण ले रहे 455 लोगों की मौत हो चुकी है। इजराइल ने इससे पहले 11 और 13 अप्रैल को भी नुसीरत रिफ्यूजी कैंप में स्थित स्कूलों पर तीन बार हमला किया था, जिसमें 7 लोगों की जान गई थी।
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