देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जिससे राज्य सरकारों को तो फायदा हो रहा है लेकिन इससे आम जनता को भारी परेशानी हो रही है। इसी को लेकर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने एक रिसर्च किया है, जिसमें ये खुलासा हुआ है कि 2018-19 में 19 प्रमुख राज्यों को 22 हजार करोड़ से ज्यादा की अतिरिक्त कमाई होगी।
एसबीआई ने ये आंकलन साल में कच्चे तेल की औसत कीमत 75 डॉलर बैरल और डॉलर का मूल्य 72 रुपये मानकर किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, अगर राज्य सरकारें पेट्रोल की कीमत औसतन 3.20 रुपये और डीजल की कीमत औसतन 2.30 रुपये घटा दें, तो भी उनका फायदा अनुमानित बजट के बराबर ही होगा।
एसबीआई ने जिन 19 राज्यों पर रिसर्च के आधार पर रिपोर्ट तैयार किया है, वहां पेट्रोल पर वैट 24 फीसदी से 39 फीसदी और डीजल पर वैट 17 फीसदी से 28 फीसदी तक लगता है। तेल की कीमतें बढ़ने के साथ ही वैट के रूप में वसूली भी बढ़ जाती है, जिससे राज्यों की कमाई भी बढ़ने लगती है।
हालांकि केंद्र का उत्पाद शुल्क फिक्स होता है। अभी पेट्रोल पर 19.48 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क लगता है, जबकि डीजल पर यह 15.33 रुपये प्रति लीटर है। राजस्थान और आंध्र प्रदेश सरकार ने राज्य में पेट्रोल-डीजल की कीमतें घटा दी हैं। इसी को देखते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने भी पेट्रोल-डीजल की कीमत 1 रुपये घटा दी है।
आंकड़ें देखें तो 2014 से राज्यों के वैट कलेक्शन में 34 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 2014-15 में यह 1.37 लाख करोड़ था, जबकि 2017-18 में यह बढ़कर 1.84 लाख करोड़ हो गया। वहीं, केंद्र के उत्पाद शुल्क की बात करें तो 2014 से इसके कलेक्शन में 130 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 2014-15 में यह 99 हजार करोड़ था, जो 2017-18 में बढ़कर 2.29 लाख करोड़ हो गया।
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