तुर्की चाहता है कि उसे कुछ राजनीतिक रियायतें दी जाएं, जिनमें राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन के आलोचकों और कुर्द नेता (जिन्हें वो आतंकवादी कहता है) को प्रत्यर्पित किया जाना शामिल है.
तुर्की और स्वीडन के बीच विवाद पिछले कई महीनों से जारी है. इस विवाद की वजह से स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में दक्षिणपंथी तत्व तुर्की के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
इस दौरान अति दक्षिणपंथी नेता रासमुस पैलुदान के नेतृत्व में क़ुरान जलाए जाने से दो देशों के बीच विवाद ने अंतरराष्ट्रीय स्वरूप हासिल कर लिया है.
इसके बाद एक सवाल खड़ा हुआ है कि क्या इस घटना ने स्वीडन के नेटो सदस्य बनने की प्रक्रिया को और जटिल बना दिया है. स्वीडन के कांसुलेट जनरल के सामने प्रदर्शनकारियों ने स्वीडन के झंडे को आग के हवाले किया.
बता दें कि यूरोपीय देश स्वीडन और फिनलैंड अमेरिका और यूरोप के साझा सैन्य संगठन नेटो के सदस्य बनना चाहते हैं.उन्होंने पिछले साल यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध शुरू होने के बाद इसके लिए आवेदन किया था.नेटो की सदस्यता मिलने पर स्वीडन और फिनलैंड की सुरक्षा से जुड़ी कुछ चिंताओं का हल हो सकता है.