अफगानिस्तान में सत्ता हासिल करने के बाद ये पहली बार है जब भारतीय प्रतिनिधिमंडल और तालिबान के अधिकारी एक दूसरे के आमने-सामने आए हैं. तालिबान ने मॉस्को में कहा है कि भारत ने अफगानिस्तान की मदद करने का आश्वासन दिया है. हालांकि, भारत की तरफ से आधिकारिक बयान नहीं आया है.
मॉस्को में भारत और तालिबान के बीच हुई बात
अफगानिस्तान मसले पर रूस की बुलाई बैठक में मॉस्को में तालिबान और भारत के बीच बातचीत हुई.
मॉस्को फॉर्मेट में बुलाई रूस की मीटिंग में तालिबान और भारत के बीच बातचीत हुई.
अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार में डिप्टी पीएम अब्दुल सलाम हनफी के नेतृत्व वाले तालिबानी प्रतिनिधिमंडल से भारत के प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को मुलाकात की.
भारतीय विदेश मंत्रालय के पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान डिविजन के संयुक्त सचिव जेपी सिंह की अध्यक्षता वाले प्रतिनिधिमंडल ने रूस के निमंत्रण पर इस बैठक में हिस्सा लिया और तालिबान के नेताओं से बात की.
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने एक बयान जारी कर इस बारे में बताया. हालांकि, भारत सरकार की ओर से से अभी तक इस मीटिंग को लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है.
साल 2017 से शुरू हुए मॉस्को फॉर्मेट को अफगानिस्तान के मुद्दे को लेकर बनाया गया था.
इस बैठक में शामिल होने के लिए चीन, भारत, ईरान और पाकिस्तान समेत देशों को निमंत्रण भेजा गया था. इस मीटिंग के लिए अमेरिका को भी न्योता भेजा गया था लेकिन वह इसमें शामिल नहीं हुआ.
अमेरिका ने इस बैठक से पहले ही दोहा में तालिबान के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत की थी.
अफगानिस्तान मसले पर रूस ने बुलाई थी बैठक
न्यूज वेबसाइट टोलो अफगानिस्तान की न्यूज के अनुसार, इस मीटिंग से तालिबान को काफी उम्मीदें हैं. अफगानिस्तान के फंड फ्रीज हो जाने के बाद से ही इस देश पर आर्थिक संकट और भुखमरी का खतरा मंडरा रहा है.
चूंकि तालिबान ने अपनी समावेशी सरकार से जुड़े वादे नहीं निभाए हैं, ऐसे में रूस तालिबान को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता देने की जल्दी में नहीं है.
रूस के अलावा ताज़िकिस्तान और उज़्बेकिस्तान ने भी तालिबान सरकार को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने कहा है कि जो वादे तालिबान सरकार ने सार्वजनिक रूप से किए हैं, उन्हें पूरा नहीं किया गया है. वही कतर भी तालिबान को कह चुका है कि उन्हें अगर इस्लामिक सरकार चलानी है तो कतर से सीखना चाहिए.
इसके अलावा कुछ मुस्लिम देश तालिबान में विदेश मंत्रियों को भेजकर उन्हें समावेशी सरकार चलाने और समाज में महिलाओं की भूमिका के महत्व के लिए भी अफगानिस्तान पहुंचने का प्लान कर रहे हैं.
पाकिस्तान तालिबान को सपोर्ट करता है और अफगानिस्तान में बुरे हालातों के बीच इस देश को मदद भी पहुंचा रहा है लेकिन पाकिस्तान की भी अपनी सीमाएं हैं क्योंकि पाकिस्तान खुद आर्थिक तंगी से बुरी तरह जूझ रहा है.
चीन ने भी अभी तक तालिबान को लेकर बहुत उत्साह भरा रवैया नहीं दिखाया है. ऐसे में तालिबान लगातार कोशिशें कर रहा है कि उसे जितना ज्यादा हो सके, उतनी मदद मिल सके.