संयुक्त राष्ट्र महासभा यानी UNGA में इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं जा रहे हैं। भारत की तरफ से विदेश मंत्री जयशंकर जनरल असेंबली में शिरकत करेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी इस मीटिंग में नहीं आएंगे। दोनों देशों के विदेश मंत्री यहां अपने-अपने देश का पक्ष रखेंगे।
माना जा रहा है कि रूस और चीन की अमेरिका से गंभीर तनातनी की वजह से पुतिन और जिनपिंग ने न्यूयॉर्क न आने का फैसला किया है। हालांकि, दोनों ही देशों ने ऑफिशियली दोनों नेताओं के न आने की वजह नहीं बताई है। मोदी के न जाने की वजह भी साफ नहीं है। वो पिछले हफ्ते ही SCO समिट के लिए उज्बेकिस्तान गए थे।
मोदी ने UN को कुछ वक्त पहले ‘फाइव एस’ फॉर्मूला दिया था। जयशंकर 24 सितंबर को इस पर विस्तार से बात करेंगे। वो करीब 50 दूसरी मीटिंग्स में भी हिस्सा लेंगे। इनमें कुछ बाइलेटरल, यानी द्विपक्षीय होंगी।
कोविड-19 के दौर के बाद (दो साल बाद) तमाम राष्ट्राध्यक्षों को इस प्लेटफॉर्म पर पहली बार मिलने का मौका मिला है। हालांकि, दुनिया के तीन बड़े नेता मोदी, पुतिन और जिनपिंग यहां नहीं आएंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन जरूर यहां मौजूद रहेंगे। बाइडेन को पहले भाषण देना था, लेकिन वो क्वीन एलिजाबेथ के अंतिम संस्कार में शामिल होने लंदन गए थे। लिहाजा, अब ब्राजील के बाद उनका भाषण 21 सितंबर, यानी बुधवार को होगा।
भारत ने दिया Five S का फॉर्मूला
जयशंकर 18 सितंबर को ही न्यूयॉर्क पहुंच चुके हैं। उनका भाषण 24 सितंबर को होगा। 28 सितंबर तक वो अमेरिका में रहेंगे। मोदी ने कुछ वक्त पहले फाइव एस फॉर्मूला दिया था। ये थे- सम्मान (Respect), सम्वाद (Dialogue), सहयोग (Cooperation), शांति (Peace) और समृद्धि (Prosperity)। UN में भारत के परमानेंट मिशन ने भी एक वीडियो के जरिए इन फाइव एस की जानकारी दी है।
इस मीटिंग में जियोपॉलिटिकल टेंशन, क्लाइमेट क्राइसिस और ग्लोबल फूड शॉर्टेज पर फोकस रहेगा। जियोपॉलिटिकल टेंशन की बात करें तो सबसे ज्यादा तरजीह रूस-यूक्रेन जंग पर है। इसकी वजह से ग्लोबल फूड शॉर्टेज का खतरा सामने आया। पाकिस्तान में बाढ़ की वजह से भारी तबाही आई। वो इसकी वजह क्लाइमेट चेंज बता रहा है। 150 डेलिगेट्स इन मुद्दों पर अपनी बात रखेंगे।
पाकिस्तान के बाद भारत का नंबर
पाकिस्तान की तरफ से प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ जनरल असेंबली में हिस्सा लेने पहुंचे हैं। माना जा रहा है कि वो मुल्क में बाढ़ से हुई तबाही के बेस पर दुनिया से मदद मांगेंगे और क्लाइमेट चेंज का जिक्र करेंगे। शरीफ पहले भी कह चुके हैं कि अमीर मुल्कों ने क्लाइमेट चेंज को रोकने के लिए कुछ नहीं किया और गरीब देश इसकी कीमत चुका रहे हैं। शरीफ दुनिया के सामने एक बार फिर मदद के लिए हाथ भी फैलाएंगे। वो खुद यह कह चुके हैं।
शहबाज कश्मीर का मुद्दा भी उठा सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो मंझे हुए कॅरियर डिप्लोमैट जयशंकर अगले दिन उनकी बात का जवाब देंगे। पाकिस्तान के कई जर्नलिस्ट मानते हैं कि जयशंकर के तर्कों का जवाब देना आसान नहीं है।