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    इराक और सीरिया में ईरान के ठिकानों पर हमला करेगा US

    Iran

    बीते रविवार को जॉर्डन में सीरिया सीमा के पास अमेरिकी पोस्ट 22 पर हुए हमले का जवाब के रूप में, अमेरिका ने इराक और सीरिया में ईरान के ठिकानों पर हमला करने की तैयारी का संकेत दिया है. इस हमले की तैयारी में अमेरिका कई दिनों तक रह सकती है, हालांकि इसके कब और कैसे होने की स्थिति अभी तक स्पष्ट नहीं है. इस तरह के हमले के पीछे का कारण है कि बीते हफ्ते में हुए हमले में 3 अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गई थी और 41 लोगों ने गंभीर रूप से चोट खाई थी.

    नई दिल्ली से मिली रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिका ने इस हमले के पीछे ईरान समर्थित मिलिशिया गुटों को जिम्मेदार ठहराया है. बाद में इस हमले के पीछे आए गए आंध्र में, इस्लामिक रेसिस्टेंस का नाम आया है, जो ईरान के रेवोल्यूशनरी गार्ड्स से हथियार और प्रशिक्षण प्राप्त करता है.

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    जॉर्डन में हुए अमेरिकी पोस्ट पर हुए हमलों के बाद, ईरान ने एक बयान जारी किया था जिसमें उन्होंने इस हमले की जिम्मेदारी को नकारा और इसमें उनका कोई योगदान नहीं था ये दावा किया था. बाद में, अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से पता चला कि इस हमले में उनीहोंने एक तरह के ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था, जो रूस उपयोग कर रहा है, और जिसका इस्तेमाल रूस यूक्रेन के मामले में भी हो रहा है.

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    अमेरिकी रक्षा मंत्री के इस बयान के बाद अब दो बातें सबसे अहम हैं

    अमेरिकी रक्षा मंत्री ने बताया कि उनके पास हमले की योजना बनाने, समय तय करने, और स्थान निर्धारित करने का पूरा अधिकार है. इसके परिणामस्वरूप, दो मुख्य प्रमुख तथ्यों को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. पहला यह है कि हमले की योजना ईराक और सीरिया में उन गुटों के खिलाफ हो सकती है, जिन्हें अमेरिका ईरान के समर्थन से चलाए जा रहे हैं, और इसमें मौसम का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है जिससे अमेरिकी हमलों में आम लोगों की मौत से बचा जा सके.

    दूसरा, इस समय तक, अमेरिका ने सीधे ईरान या ईरान के नेतृत्व पर हमले की कोई नीति नहीं दिखाई है, जो रिपब्लिकन्स के बीच चर्चाओं का कारण बन रहा है. राष्ट्रपति चुनाव के समय, इसके बावजूद, बाइडन ने सीधे ईरान पर हमले के बारे में बात नहीं की है, जो घरेलू दबाव का कारण बन सकता है. इस संदर्भ में, अमेरिका ईराक और सीरिया में हमले की योजना को आगे बढ़ा रहा है ताकि सीधे ईरान के साथ ना जाने के लिए एक दूसरा रास्ता मिले.

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