अलग-अलग रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि अमेरिका ने भी प्रयोगशाला में नकली सूर्य तैयार किया है. पिछले कई वर्षों से शोधकर्ताओं ने परमाणु संलयन को फिर से बनाने की कोशिश की है और इस प्रक्रिया के जरिये वैज्ञानिकों ने सूर्य की तरह ही शक्ति देने वाली ऊर्जा की नकल करने की कोशिश की है. इसके चलते इसे नकली सूर्य कहा जाता है.
सूर्य की तरह कॉर्बन फ्री एनर्जी का उत्पादन किया गया
रिपोर्ट्स के मुताबिक इतिहास में पहली बार अमेरिका के कैलिफोर्निया में लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी में नेशनल इग्निशन फैसिलिटी में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने न्यूक्लिर फ्यूजन रिएक्शन को अंजाम दिया है, जिसके चलते सूर्य की तरह ही बिल्कुल शुद्ध ऊर्जा (कॉर्बन फ्री एनर्जी) का उत्पादन किया गया. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जिसकी कैलिफोर्निया में लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी में राष्ट्रीय प्रज्वलन सुविधा को पुष्टि करनी है.
शोधकर्ताओं ने न्यूक्लियर को बताया ऐतिहासिक उपलब्धि
ग्रैनहोम वाशिंगटन में एक समाचार सम्मेलन में लिवरमोर के शोधकर्ताओं ने कहा कि यह राष्ट्रीय इग्निशन सुविधा में शोधकर्ताओं और कर्मचारियों के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जिन्होंने फ्यूजन इग्निशन को एक वास्तविक बनाने के लिए अपने करियर को समर्पित किया है. वैज्ञानिकों के अनुसार अगर सबकुछ सही रहता है तो जीवाश्म ऊर्जा जैसे गैस, पेट्रोल और डीजल से अमेरिका की निर्भरता कम हो सकती है.
न्यूक्लियर फ्यूजन को बताया चमत्कार
इसका सबसे बड़ा नुकसान सऊदी अरब, रूस, कतर, ओमान और नाइजीरिया जैसे तेल उत्पादक देशों को हो सकता है. बता दें कि अभी परमाणु रिएक्टरों से जो ऊर्जा उत्पन्न की जाती है, उसका इस्तेमाल दुनिया में बिजली निर्माण के साथ-साथ अलग-अलग ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए होता है. व्हाइट हाउस की विज्ञान सलाहकार आरती प्रभाकर ने ग्रैनहोम के साथ मौजूद होकर न्यूक्लियर फ्यूजन को इंजीनियरिंग चमत्कार बताया है. उन्होंने कहा कि दृढ़ता से सबकुछ हासिल किया जा सकता है.