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    जिस समस्या से श्रीलंका जूझ रहा है, उसी के मुहाने पर हमारा एक और पड़ोसी नेपाल भी आकर खड़ा हो गया है।

    नेपाल में भी श्रीलंका की तरह ही विदेशी मुद्रा भंडार की कमी हो गई है।

    स्थिति यह है कि नेपाल के केंद्रीय बैंक ने बैंकों से वाहनों और गैर जरूरी सामान के लिए लेटर ऑफ क्रेडिट जारी न करने को कहा है।

    इनमें ज्यादातर आयात भारत से होता है।

    नेपाल राष्ट्र बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग के प्रमुख प्रकाश कुमार श्रेष्ठ ने कहा- विलासिता की चीजों पर खर्च करने के बजाय दवाओं के आयात के लिए मुद्रा कोष बचाना होगा।

    आयात कम करने के दूसरे उपाय नाकाम होने पर यह निर्देश जारी किए हैं।

    हालांकि, नेपाल केंद्रीय बैंक के प्रवक्ता गुनाखर भट्ट ने श्रीलंका जैसे हालात होने से इनकार किया है।

    भट्‌ट ने कहा- हमने ऐहतियातन ये कदम उठाए हैं ।

    जुलाई 2021 में वित्त वर्ष की शुरुआत से आयात बढ़ने और बाहर से आने वाले धन में कमी।

    पर्यटन और निर्यात से होने वाली आय में गिरावट से विदेशी मुद्रा घट रही है।

    जीडीपी के 33% के बराबर राशि विदेशों में काम कर रहे नेपाली भेजते हैं ।

    जुलाई से जनवरी 2022 तक पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में बाहर से मुद्रा स्वदेश भेजने में 5% कमी आई है।

    इनसे जुलाई 2021 में विदेशी मुद्रा भंडार 1175 करोड़ डॉलर से 17% घटकर 975 करोड़ डॉलर रह गया।

    रिकॉर्ड व्यापार घाटा : 81 करोड़ डॉलर से बढ़कर 207 करोड़ डॉलर पर पहुंचा

    नेपाल के मौजूदा विदेशी भंडार से 6 महीने तक तो आयात हो सकेगा।

    जबकि केंद्रीय बैंक का लक्ष्य 7 महीने के हिसाब से विदेशी मुद्रा रखना है।

    बढ़ते आयात और कम होती विदेशी मुद्रा से व्यापार घाटा 207 करोड़ डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर है।

    पिछले साल इसी अवधि में यह 81 करोड़ डॉलर का था।

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