कर्नाटक हाईकोर्ट में लगातार 9 सुनवाइयों के बाद हिजाब विवाद का हल नहीं निकला है। गुरुवार को कोर्ट की फुल बेंच दोपहर ढाई बजे से फिर सुनवाई करने वाली है। कोर्ट ने एक दिन पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है कि वह इस हफ्ते में मामले का फैसला करना चाहता है। बुधवार को भी कोर्ट का रुख साफ होता दिखा।
चीफ जस्टिस अवस्थी ने एक दलील के बाद कहा कि अगर यूनिफॉर्म निर्धारित है तो उसका पालन करना ही होगा, चाहे वह डिग्री कॉलेज हो या पीयू कॉलेज। कोर्ट का सख्त रुख- डिग्री कॉलेज हो या प्री-यूनिवर्सिटी, यूनिफॉर्म निर्धारित है तो उसका पालन करना ही होगा
कर्नाटक हाईकोर्ट की बुधवार की सुनवाई की अहम बातें
- शुरुआत में कॉलेज और टीचर्स की ओर से कहा गया कि स्कूल-कॉलेज में धार्मिक प्रतीकों की अनुमति धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है।
- दिसंबर 2021 तक याचिकाकर्ताओं को ड्रेस कोड से कोई आपत्ति नहीं थी।
- कॉलेज ने 2004 से यूनिफॉर्म निर्धारित की है और अब एक कट्टरपंथी समूह के इशारे पर कि स्टूडेंट हिजाब के मुद्दे को उठा रहे हैं।
- अदालत ने हस्तक्षेप आवेदन करने वालों से लिखित दलीलें पेश करने को कहा है।
- कोर्ट ने कहा कि हमें मदद की दरकार नहीं है, लेकिन इतने सारे हस्तक्षेपकर्ता आए हैं, इसलिए हम लिखित निवेदन देने के लिए अनुरोध करेंगे।
- हम इस मामले को छह महीने तक नहीं सुन सकते हैं।
- मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की बेंच ने बुधवार की सुनवाई के आखिर में स्पष्ट किया कि 10 फरवरी का अंतरिम आदेश डिग्री कॉलेजों और प्री-यूनिवर्सिटी (पीयू) कॉलेजों दोनों पर लागू होगा, जहां यूनिफॉर्म लागू की गई है।
- बेंच ने यह भी स्पष्ट किया कि उसका आदेश केवल स्टूडेंट पर लागू होता है, शिक्षकों पर नहीं।
- यह बात बेंच ने तब कही जब एडवोकेट मोहम्मद ताहिर ने अंतरिम आदेश की सीमा के बारे में स्पष्टीकरण की मांग वाले आवेदनों का जिक्र किया।