यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद पोलैंड बॉर्डर से पहले भारतीय छात्रों को कई किलोमीटर पैदल चलकर आना पड़ रहा था। फिर खबरें भी आने लगीं कि यूक्रेन बॉर्डर पुलिस भारतीयों को टॉर्चर कर रही है, ऐसे में पोलैंड में मौजूद इंडियन एम्बेसी ने ऐसे मिशन को अंजाम दिया जो जंग के हालात में इम्पॉसिबल था।
एम्बेसी ने भारतीयों को लाने के लिए यूक्रेन बॉर्डर के अंदर घुसने का फैसला किया।
लगातार बिगड़ते हालात और गोलीबारी के बीच यह काम नामुमकिन जैसा ही था।
मिशन था- यूक्रेन में 30 किलोमीटर अंदर घुसना और सभी भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकालकर पोलैंड पहुंचाना।
एम्बेसी के साथ इस मिशन को लीड करने वाले भारतीय मूल के बिजनेसमैन अमित लाथ ने बताया कि पोलैंड से 444 भारतीय छात्रों को मंगलवार शाम भारत के लिए रवाना किया गया।
बॉर्डर तक पैदल आने में छात्रों को 4 दिन लग रहे थे
इन छात्रों को निकालने के लिए युद्ध शुरू होते ही इंडियन एम्बेसी एक्टिव हो गई थी।
उसके इस मिशन में इंडो-पोलिश चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (IPCCI) ने रणनीति बनाने में मदद की।
इस मिशन को अंजाम देने के लिए युद्धग्रस्त यूक्रेन बॉर्डर के अंदर 30 से 50 किलोमीटर पैदल चलकर आ रहे भारतीय छात्रों को पोलैंड के सुरक्षित क्षेत्र में लाना था।
पैदल आने में इन्हें 4 दिन का समय लग रहा था।
इस दौरान यूक्रेनियन पुलिस की ज्यादती का खतरा बना हुआ था।
इस पर ठंड के दौरान रास्ते में ही रात बिताने से तबीयत भी बिगड़ने लगी थी।
मिशन इम्पॉसिबल के लिए स्ट्रैटजी
24 फरवरी को रूस का हमला होते ही पोलैंड में इंडियन कम्युनिटी एक्टिव हो गई।
IPCCI के साथ मिलकर एम्बेसी ने 7 टीमें बनाईं।
एक स्पेशल कंट्रोल रूम बनाया गया।
यहां से पूरे ऑपरेशन के को-ऑर्डिनेशन और एग्जीक्यूशन पर नजर रखी जा रही थी।