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    बिहार महाकांड: 10 मिनट में 23 की हत्या, लाशों के बीच छुपकर बचे कई लोग

    नक्सली संगठन माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) को खत्म करने के मकसद से बिहार के दो जिलों में रणवीर सेना ने लगातार दो बड़े नरसंहार किए, जो बिहार के महाकांड के रूप में प्रसिद्ध हुए. पहला नरसंहार 1996 में भोजपुर के बथानी टोला में और दूसरा 1997 में जहानाबाद के लक्ष्मणपुर बाथे में अंजाम दिया गया. इसी सिलसिले में अगला निशाना बना जहानाबाद का शंकरपुर बिगहा गांव, जहां 25 जनवरी 1999 का दिन दहशत भरा साबित हुआ और एक और महाकांड ने बिहार को झकझोर दिया.

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    शंकरपुर बिगहा नरसंहार: जातीय संघर्ष का महाकांड और खौफनाक कड़ी

    बिहार में जातीय तनाव का इतिहास आजादी से पहले का है, लेकिन 1970 के दशक के बाद ये हिंसा और भी भयावह रूप लेने लगी। खासकर 1990 के दशक के मध्य में उच्च जातियों के संगठन रणवीर सेना और दलित-पिछड़ी जातियों के बीच टकराव चरम पर पहुंच गया. इसी दौर में भोजपुर का बथानी टोला नरसंहार और जहानाबाद का लक्ष्मणपुर बाथे हत्याकांड सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहे। इन घटनाओं की कड़ी में जहानाबाद जिले के शंकरपुर बिगहा गांव में 25 जनवरी 1999 को एक और दिल दहला देने वाला हत्याकांड हुआ.

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    बिहार चुनाव को समझने के लिए जरूरी है उन घटनाओं को जानना, जिन्होंने राज्य की सामाजिक और राजनीतिक संरचना को झकझोर कर रख दिया था। हमारी खास सीरीज ‘बिहार के महाकांड’ के पांचवें भाग में आज हम आपको ले चलेंगे उस दिल दहला देने वाली घटना की ओर, जिसने जातीय टकराव की भयावहता को उजागर किया. हम बात कर रहे हैं 25 जनवरी 1999 को जहानाबाद जिले के शंकरपुर बिगहा गांव में हुए उस नरसंहार की, जिसमें निर्दोष ग्रामीणों को निर्ममता से मौत के घाट उतार दिया गया। ये कहानी सिर्फ एक हत्याकांड की नहीं, बल्कि उस दौर की भी है जब बिहार जातीय हिंसा की आग में जल रहा था.

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