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    बेटी बचाओ खट्टर जी! 4 साल में हरियाणा में आई बलात्कार के मामलों की बाढ़, 47 फीसदी वृद्धि

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    Oct 26, 2018 क्राइम
    हरियाणा में बेटियों के साथ रेप की बढ़ती वारदातें
     
    देखा जो हालत ये तेरा, छलनी हुआ कलेजा मेरा
     
    रोक सके जो अश्क मेरे, वो नैन कहां से लाऊं
     
    सदियों से यही तो होता आया है रावण की नज़रों से सीता नहीं बच पाई, द्रोपदी का चीर हरण करने की चाल देवर दुर्योधन और दुष्शासन ने चली. आज भी यही तो हो रहा है, हरियाणा की लाडो खौफ के साए में है. बेखौफ दरिंदे रूह कंपाने वाली बलात्कारों की वारदात को अंजाम देते हुए खुलेआम घूम रहे हैं.
    प्रदेश के चारों ओर से ऐसी खबरें हमेशा से आती रही हैं लेकिन बीते 4 सालों में इन आंकड़ों में इजाफा ही हुआ है जिसने बेटी बचाने के दावे करने वाले सिस्टम को कठघरे में ला खड़ा कर दिया है. बेटियों की सुरक्षा का जिम्मा संभालने का दम भरने वाली पुलिस सवालों के घेरे में आ गई है. हरियाणा से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली बीजेपी सरकार भी राज्य में एक के बाद एक हुई रेप की वारदातों से सवालों के कटघरे में आ गई.
    रेप की वारदातों से शर्मसार हरियाणा
     
    इस बात में कोई शक नहीं कि बीते एक साल में ही प्रदेश में समाज को शर्मसार कर देने वाली बलात्कार की घटनाओं की बाढ़ सी आ गई. दुष्कर्म व हत्या की एक बाद एक बड़ी वारदातों ने पूरे समाज को झंझोड़ कर रख दिया है. इन घटना से साफ है कि यहां कंधे से कंधा मिलाकर चलने के मुहावरे सिर्फ किताबी साबित हो रहे हैं क्योंकि घर से बाहर निकलना बेटियों के लिए बड़े खतरे से कम नहीं है. इन घटनाओं से एक बात यह भी साफ हो गई है कि सूबे में चाहे सरकार किसी भी हो लेकिन, महिला उत्पीड़न, बलात्कार व हत्या की घटनाओं में कोई लगाम नहीं लग पाई है.
    जींद की वारदात से याद आई ‘निर्भया’ 
    हरियाणा में इन चार साल के दौरान जींद, पानीपत, पंचकूला व फरीदाबाद आदि शहरों में दुष्कर्म की घटनाएं प्रदेश के ताजा हालात को बयां कर रही हैं. इनपर एक्शन कम कागजी खानापूर्ति होती ज्यादा नजर आ रही है. यह हालात तब हैं जब राज्य में अक्सर ऑपरेशन दुर्गा चलाए जाते हैं और हर ऐसी जगह पर चौकस निगाहें रख लड़कियों व महिलाओं को महफूज रखने के दावे किए जाते हैं. राज्य के हर शहर में महिला थाने और महिला उत्पीड़न को थामने के लिए मजबूत सिस्टम का दावा किया जाता है.
    इसलिए दहशत में है हरियाणा
     
     
    फरीदाबाद में एक बच्ची का किडनैप कर उससे चलती गाड़ी में गैंगरेप किया गया. जींद में एक पिछड़े समाज की बेटी के साथ हुए गैंगरेप व हत्या की वारदात से दिल्ली का निर्भया कांड याद आ गया. रेप और क्राइम का सेम पैटर्न ये सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर समाज किस दिशा में जा रहा है यहां बेटियां इंसान नहीं बल्कि अपनी वहशी भूख मिटाने का जरिया भर हैं.
    पानीपत के गांव उरनाला कलां में 11 वर्षीय बच्ची से गैंगरेप के बाद भी उसकी हत्या कर दी गई. चौथी घटना, पिंजौर में एक 10 वर्षीय छात्रा के साथ हैवानियत की है. अपने ही घर के बाहर खेल रही 10 साल की बच्ची भी बलात्कार की शिकार हो गई. इसी महीने के भीतर करीब दर्जनभर से ज्यादा रेप की वारदते हुईं जो इस बात की गवाह हैं कि प्रदेश में बेटियों के लिए हालात कुछ ठीक नहीं. लगातार होती इन घटानों से खट्टर सरकार की सिर्फ भौहें चढ़ना काफी नहीं.
     
    जाट आंदोलन के दौरान तथाकथित मुरथल गैंगरेप मामला
     
    साल 2016 में जाट आंदोलन की आग में राज्य जला.. और जली उन बेटियों की आबरू जिनके दामन पर दाग लगा. हालांकि इस मामले में किसी ने भी कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई. लेकिन मौका-ए-वारदात से मिले सबूतों के आधार पर हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया.
    एनसीआरबी के चौंका देने वाले तथ्य
    ⦁नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की हरियाणा को लेकर हाल में आई रिपोर्ट पर गौर फरमाएं तो राज्य में साल2016 के दौरान प्रदेश में सामूहिक दुष्कर्म की 191 घटनाएं हुई थीं.
    ⦁राष्ट्रीय स्तर पर सामूहिक दुष्कर्म की औसत जहां महज 0.3 फीसदी है वहीं सूबे में यह औसत 1.5 फीसदी है.
    ⦁पिछले साल हरियाणा में दुष्कर्म के कुल 1189 केस दर्ज किए गए थे.
    ⦁करीब 44 फीसदी अथवा करीब 518 घटनाओं में पीड़ितों की उम्र 18 साल से कम रही है.
    ⦁इस अवधि के दौरान छह साल से कम उम्र की 32 बच्चियों को अपनी हवस का शिकार बनाया गया.
    ⦁इस अवधि के दौरान 82 ऐसी बच्चियों को दुष्कर्म अथवा सामूहिक दुष्कर्म का शिकार बनाया गया है.
    ⦁इस अवधि के दौरान दर्ज हुए कुल मामलों में 549 घटनाएं ऐसी देखने को मिली हैं जिनमें आरोपी पड़ोसी एवं करीबी रिश्तेदार थे.
    ⦁दुष्कर्म व उसके बाद हत्या की घटनाओं में 25 मामले ऐसे मिले हैं जिसमें पीड़ित बच्चियों को हवस का         शिकार बनाने वाले उनके पिता, रिश्तेदार भाई आदि शामिल हैं.
    ⦁ साल 2017 में भी महिला उत्पीड़न की 9523 घटनाएं हुईं.
    ⦁साल 2016 के मुकाबले गैंगरेप की घटनाएं वर्ष 2017 में बढक़र 204 तक पहुंच गई.
    ⦁पिछले साल प्रदेश में दहेज हत्या की 229, बलात्कार की 1238, बलात्कार के प्रयास की 141, महिलाओं एवं            युवतियों के साथ छेड़छाड़ के 2039 मामले दर्ज किए गए.
    ⦁इसी तरह महिलाओं अथवा युवतियों के अपहरण की 2432 घटनाएं हुई.
    ⦁हालिया दर्ज किए गए आंकड़ों के मुताबिक हरियाणा में रेप के 47% मामले बढ़े हैं.
    इन आंकड़ों को देखने के बाद ये कहना गलत नहीं होगा कि हरियाणा में बेटियों को लेकर समाज की सोच छोटी, निंदनीय और घातक होती जा रही है. क्योंकि जिस तरह से बीते चंद सालों में रेप की वारदातों में इजाफा हुआ और पीड़िता की उम्र महज 3 माह से लेकर 50 वर्ष तक रही है उससे तो यही तस्वीर निकल कर आती है कि खट्टर राज में बेटियां की स्थिती अच्छी नहीं. बेटियों की चुनरी पर लगने वाले ये दाग अब दिलों में भी चुभने लगे हैं.
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