महिला दिवस विशेष आज 8 मार्च है।
पता ही होग, तो ये भी मालूम होगा कि दुनिया इसे इंटरनेशनल विमेंस डे के तौर पर मनाती है|
लेकिन सबसे बड़ी बात शायद कम मालूम हो… अपने देश में आजादी के बाद ये पहला मौका है|
जब औरतों की तादाद मर्दों से अधिक हो गई हैं।
आंकड़ों का ये हिसाब-किताब राष्ट्रीय परिवार और हेल्थ सर्वे-5 का है।
इसके मुताबिक देश में प्रति 1,000 पुरुषों पर 1,020 महिलाएं हो गई हैं।
आजादी के बाद, यानी 1951 में ये आंकड़ा 946 था।
और 2015 तक मर्दों की तुलना में औरतों का ये आंकड़ा 991 तक ही पहुंच पाया था।
तो आज के मौके पर औरतों की कामयाबी का लेखा-जोखा करते हैं बारी-बारी से|
महिला दिवस विशेष आज 8 मार्च है
शहरों की तुलना में गांवों में 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या ज्यादा
यह पहली बार है जब देश में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक हो गई है। पांचवें राष्ट्रीय परिवार और हेल्थ सर्वे के अनुसार अब देश में 1,000 पुरुषों के मुकाबले 1,020 महिलाएं हैं। महिला दिवस इसलिए भी खास है, क्योंकि हमारे देश में जहां पहले बच्चियों की भ्रूण हत्या हो जाती थी… यानी उनके लिए जीवन के अवसर लड़कों की तुलना में बेहद कम थे, वहां वे अब आगे बढ़ रही हैं। अब गांवों में 1,000 पुरुषों पर 1,037 और शहरों में 985 महिलाएं हैं। वहीं चौथे नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के हिसाब से गांवों में 1,000 पुरुषों की तुलना में 1,009 महिलाएं थीं और शहरों में ये आंकड़ा 956 का था।
बच्चों के सेक्स रेश्यो में भी सुधार की वजह से बढ़ी महिलाओं की संख्या
देश में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या ज्यादा होने की वजह यह है कि जन्म के समय सेक्स रेश्यो में भी सुधार हुआ है। सेक्स रेश्यो का मतलब देश में जन्म लेने वाली लड़कों के मुकाबले लड़कियों का अनुपात। 2015-16 में जन्म के समय सेक्स रेश्यो प्रति 1000 बच्चों पर 919 बच्चियों का था, जो अब 929 हो गया है। इसी वजह से शहर और गांव दोनों ही जगहों पर प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या बढ़ी है। सबसे अच्छी बात तो यह है कि यह सुधार शहरों की तुलना में गांवों में बेहतर हुआ है। गांवों में अब हर 1,000 पुरुषों पर 1,037 महिलाएं हैं, जबकि शहरों में 985 महिलाएं हैं।