नई दिल्ली। नेशनल हेराल्ड हाउस (national herald house) को खाली करने के मामले सिंगल बेंच के फैसले ड की अपील पर दिल्ली हाई कोर्ट
(Delhi High Corut) की डिविजन बेंच ने बृहस्पतिवार को अहम फैसला सुनाया है। इसके तहत अब एजेएल को हेराल्ड हाउस खाली करना ही होगा। इसे एजेएल के साथ-साथ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी के लिए भी एक झटका माना जा रहा है।
सुनवाई में डबल बेंच में लगाई गई एजेएल की याचिका पर 21 दिसंबर के फैसले पर तुरंत रोक लगाने की मांग की गई थी, इसके साथ ही याचिका में कहा गया था कि न्याय के हित में इमारत खाली करने के आदेश पर रोक लगाना जरूरी है। रोक नहीं लगी तो ये कभी न पूरा होने वाला नुकसान होग।
इससे पहले हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने 21 दिसंबर को एजेएल की याचिका खारिज करते हुए नेशनल हेराल्ड की बिल्डिंग खाली करने आदेश दिया था। कोर्ट ने इसके लिए दो सप्ताह तक समय दिया था। दरअसल एजेएल ने केंद्र सरकार के उस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें 56 साल पुरानी लीज खत्म करने का आदेश दिया गया था।
यह है मामला
एजेएल नेशनल हेराल्ड अखबार की मालिकाना कंपनी है। कांग्रेस ने 26 फरवरी 2011 को इसकी 90 करोड़ की देनदारी अपने जिम्मे ले ली थी। यानी कंपनी को 90 करोड़ का लोन दिया। इसके बाद पांच लाख में यंग इंडियन कंपनी बनाई गई, जिसमें सोनिया व राहुल की हिस्सेदारी 38-38} व शेष कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा व ऑस्कर फर्नाडीज के पास है। बाद में एजेएल के 10-10 रुपये के नौ करोड़ शेयर यंग इंडियन को दिए गए। बदले में यंग इंडियन को कांग्रेस का लोन चुकाना था। नौ करोड़ शेयर के साथ यंग इंडियन को कंपनी के 99} शेयर हासिल हो गए। इसके बाद कांग्रेस ने 90 करोड़ का लोन माफ कर दिया। यानी यंग इंडियन को मुफ्त में एजेएल का स्वामित्व मिल गया।
बता दें कि हाई कोर्ट के इस फैसले को दोनों नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। दोनों ने नेशनल हेराल्ड और यंग इंडिया से जुड़े टैक्स एसेसमेंट की दोबारा जांच के आयकर विभाग के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी। गौरतलब है कि राहुल और सोनिया के खिलाफ आयकर जांच का मुद्दा भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने उठाया था।
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