पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तबीयत अब ज्यादा खराब होने की खबर है. इस बिच वाजपेयी को देखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को दिल्ली के एम्स पहुंचे. मंगलवार को अटल बिहारी वाजपेयी की तबीयत ज्यादा बिगड़ने के बाद उन्होंने यह दौरा किया. वाजपेयी का परिवार भी एम्स में मौजूद है. बुधवार सुबह से ही बड़े नेता और केंद्रीय मंत्रियोका एम्स में जमावड़ा शुरू हो गया है. एम्स पहुचनेवाले रस्ते पर भारी जाम लगा हुआ है. वाजपेयी के समर्थक भी यहा पर आ रहे है. सूत्रों ने बताया की वाजपेयी की हालत पहलेसे काफी खराब हो गयी है और इस बार मामला थोड़ा ज्यादा ही सिरिअस लग रहा है. एम्स बुधवार सुबह ९ बजेही मेडिकल बुलेटिन जारी करनेवाली था पर व्हीआईपी मुव्हमेंट और बाकी कारनोकेवजह अब थोड़े देरी से मेडिकल बुलेटिन जारी करनेकी बात कही जाए रही है.
अपडेट- नया मेडिकल बुलेटिन बुधवार सुबह 11 बजे जारी किया गया जीसमे, वाजपेयी की हालत अभीबी नाजूक होने की बात काही गयी. पीएम मोदी दोबारा दोपहार एम्स पहुचे और करिब 45 मिनिट वहा रहे. दिल्ली के मुख्यमंत्री भी यहा पहुचे. सुषमा स्वराज , गिरीराज सिंह भी एम्स मे दिखाई दिये.
एम्स ने अपने बयान में कहा है, ”ये दुर्भाग्यपूर्ण कि उनकी हालत बीते 24 घंटे में और ख़राब हो गई है. उनकी हालत नाज़ुक है और उन्हें जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया है.”
एम्स के इस बयान के बाद उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, पूर्व उपराष्ट्रपति डॉक्टर हामिद अंसारी सहित कई कैबिनेट मंत्री यहाँ पहुंच चुके हैं. वाजपेयी का कार्यकाल इतना ऐतिहासिक था की पार्टी कार्यकर्ताओंके साथ ही, सामान्य जनता और विरोधक भी उनके वक्तित्व को पसंद करते है. देश भर में इस वक्त उनके सलामती की दुआए मांगी जा रही है.
वाजपेयी ने २००५ में दिया था आखरी भाषण
बीजेपी के वरिष्ठ नेता वाजपेयी एक-दो साल नहीं करीब 8 साल से बिस्तर पर हैं. अपनी ओजस्वी आवाज शानदार भाषण शैली को लेकर जनता को बीच लोकप्रिय वाजपेयी साल 2005 में आखिरी बार किसी जनसभा को संबोधित किया था. यह जनसभा मुंबई के शिवाजी पार्क में हुई थी. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की रजत जयंती समारोह में उन्होंने आखिरी बार जनसभा को संबोधित किया. इसके बाद वे दोबारा कभी भी किसी जनसभा में नहीं बोले. इस जनसभा में वाजपेयी ने सबसे छोटा भाषण दिया था. उन्होंने पार्टी में लालकृष्ण आडवाणी और प्रमोद महाजन को राम-लक्ष्मण की जोड़ी करार दिया था. इस जनसभा में उन्होंने चुनावी राजनीति से संन्यास की घोषणा की थी. वाजपेयी उस वक्त भी लखनऊ से सांसद थे. हालांकि खराब तबीयत की वजह से वो लोकसभा में नियमित रूप से शामिल नहीं हो पा रहे थे.
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