केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) सरकारी टेलीकाॅम कंपनी बीएसएनएल (BSNL) में नई जान फूंकने की तैयारी में जुट गई है। केन्द्रीय कैबिनेट ने आज बीएसएनएल के रीस्ट्रक्चरिंग के लिए 1.64 लाख करोड़ रुपये के पैकेज को मंजूरी दी। साथ ही सरकार ने बीएसएनएल और भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (BBNL) के विलय को मंजूरी दे दी है। सरकार की तरफ से टेलीकाॅम मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने इसकी जानकारी दी है। बता दें, इस तरह के स्पेशल पैकेज का ऐलान आखिरी बार सरकार तरफ से 2019 में किया गया था।
केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि सरकार की तरफ से बीएसएनएल को 4G सेवाओं में विस्तार करने के लिए स्पेक्ट्रम भी आवंटित किया जाएगा। मंत्री ने बताया, ‘बीएसएनएल के 33,000 करोड़ रुपये के वैधानिक बकाये को इक्विटी में बदला जाएगा, साथ ही कंपनी 33,000 करोड़ रुपये के बैंक कर्ज के भुगतान के लिए बॉन्ड जारी करेगी।’ बता दें, पैकेज के तीन हिस्से हैं – सेवाओं में सुधार, बैलेंस शीट को मजबूत करना और आप्टिकल फाइबर नेटवर्क का विस्तार।
BBNL-BSNL के मर्जर से क्या बदलेगा?
इस मर्जर से BSNL को यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड के जरिए 1.85 लाख गांवो में बिछाई गई 5.67 लाख किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर की सुविधा का भी लाभ मिलेगा। मौजूदा समय में बीएसएनएल के पास 6.8 किलोमीटर का ऑप्टिकल फाइबर चेन उपलब्ध है। मंत्री ने कहा, ‘अभी तक ज़िले से ब्लॉक तक का नेटवर्क BSNL प्रबंधित करता है और ब्लॉक से पंचायत तक का नेटवर्क BBNL प्रबंधित करता है। दोनों में समन्वय में दिक्कत ना आए और BSNL के पुनरुद्धार के लिए BBNL और BSNL के विलय को मंजूरी दी।’
JIo-एयरटेल जैसी कंपनियों ने बिगाड़ा BSNL का खेल!
एक समय बीएसएनएल का टेलीकाॅम सेक्टर पर राज था। लेकिन जैसे-जैसे प्राइवेट कंपनियों ने इस सेक्टर में एंट्री मारी उसके बाद ही BSNL अपना ग्राहक खोने लगा। रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने 4G नेटवर्क के जरिए जिस रणनीति को अपनाया उसने BSNL का खेल और बिगाड़ दिया।