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    दिल्ली और हरियाणा के बीच सिंघु-टिकरी बॉडर्र पर आंदोलन कर रहे किसानों की आज घर वापसी हो रही है। तीन कृषि कानूनों के विरोध में 26 नवंबर 2020 को, यानी अब से 380 दिन पहले किसानों ने दिल्ली कूच करने का ऐलान किया था। जब उन्हें प्रशासन ने जगह-जगह बलपूर्वक रोकने की कोशिश की। तब से अब तक हालात बदल चुके हैं। आज 11 दिसंबर को किसान विजयी होकर महाराजाओं की तरह घर लौट रहे हैं। नजारा कुछ वैसा ही है जैसे पंजाब के राजा के जंग जीतने के बाद वापसी के समय होता था।

    इस फतेह मार्च की अगुआई सिख परंपरा के अनुसार श्री गुरु ग्रंथ साहिब के साथ पंज प्यारों ने की। इस फतेह मार्च में महाराजाओं की तरह किसानों के आगे घोड़ा गाड़ियां और किसान सेना का बड़ा काफिला चल रहा है। किसान नेता कह रहे हैं कि आज हर किसान अपना सिर ऊंचा करके पंजाब में प्रवेश करेगा, सम्मान से घर जाएगा। रास्ते में कई जगह किसानों के स्वागत की तैयारियां की गई हैं।

    वाहन चालकों को मिलेगी राहत


    किसानों की वापसी के साथ ही कुंडली बॉर्डर पर करीब आठ किलोमीटर तक का मार्ग खाली हो जाएगा। 50 फीसदी से अधिक किसान पहले ही लौट चुके हैं। माना जा रहा है कि तीन दिन तक मामूली मरम्मत होने के बाद जीटी रोड के दोनों तरफ की सर्विस लेन को चालू किया जा सकेगा। इससे वाहन चालकों को राहत मिल सकेगी।

    तीन पड़ाव में पंजाब पहुंचेंगे किसान


    फतेह मार्च का पहला पड़ाव करनाल में रखा गया है। रात को किसान यहां पर विश्राम करेंगे और यहीं पर उनके लिए लंगर और रहने की व्यवस्था की गई है। रविवार की सुबह इसी अंदाज में यह मार्च पंजाब के लिए रवाना हो जाएगा। रविवार की रात का पड़ाव चार साहिबजादों के शहीदी स्थल श्री फतेहगढ़ साहिब में होगा। इसके बाद यह मार्च सोमवार को श्री अमृतसर साहिब के गोल्डन गेट तक पहुंचेगा। यहां से भव्य नगर कीर्तन निकालते हुए श्री हरिमंदिर सहिब जाएगा और वहां किसान नेता वाहेगुरू का शुक्रराना करेंगे।

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