30 को विदेश मंत्रियों की मुलाकात संभव
भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते सुधारने की दिशा में एक साथ कई लेवल पर पॉजिटिव कोशिशें शुरू हो चुकी हैं। ढाई साल में पहली बार पाकिस्तानी अफसरों का दल दिल्ली पहुंचा और मंगलवार को सिंधु नदी जल बंटवारे पर स्थायी आयोग की दो दिन की बैठक शुरू हुई। भारतीय अफसरों का कहना है कि इस बैठक के साथ ही दोनों देशों के संबंध पटरी पर लाने की खिड़की खुली है।
पुलवामा हमले के जवाब में बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद यह पहला मौका है, जब पाकिस्तान और भारत के अधिकारी आमने-सामने बैठकर मुलाकात कर रहे हैं। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के बैनर तले पाकिस्तान के पब्बी इलाके में आतंकवाद रोकने वाला युद्धाभ्यास होगा और भारतीय सेना उसमें शामिल होगी।
इसकी अभी सरकारी तौर पर घोषणा नहीं हुई है, लेकिन इस कार्यक्रम से भारत पीछे नहीं हटेगा क्योंकि SCO रूस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है और भारत मॉस्को को नाराज होते नहीं देखना चाहता। लिहाजा भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद इतिहास में पहली बार भारतीय सेना पाकिस्तान में किसी दोस्ताना अभ्यास में शामिल होगी। भारत और पाकिस्तान को बातचीत की पटरी पर लाने में UAE और सऊदी अरब ने भूमिका निभाई है।
30 मार्च को ताजिकिस्तान की राजधानी दुशानबे में हार्ट एशिया काॅन्फ्रेंस होगी। इसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर और पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी शामिल होंगे। वहां दोनों नेताओं के बीच मुलाकात संभव है।
एक्सपर्ट बोले- पाक सेना आतंक पर लगाम कसे तो शांति संभव
पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक का कहना है कि भारत-पाक के संबंधों को लेकर हो रहे सकारात्मक घटनाक्रमों में कुछ किंतु-परंतु भी जुड़े हैं। अब आगे पाकिस्तान की लीडरशिप और उससे भी कहीं ज्यादा पाकिस्तानी सेना की नीयत की परीक्षा होनी है। पिछले अनुभवों से हमने सीखा है कि तात्कालिक दबाव में पाकिस्तान कुछ कदम उठाता है, लेकिन आतंकवाद को अपनी सरकारी नीति की दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा बनाने का उसकी सेना का मोह बरकरार रहता है। इसी से संबंध बिगड़ जाते हैं। फिर भी भारतीय सेना पाकिस्तान में युद्धाभ्यास करती है तो यह ऐतिहासिक पड़ाव होगा। अब आगे पाकिस्तानी सेना को वहां के आतंकी गुटों और ISI की गतिविधियों पर नकेल कसनी होगी। इससे शांति संभव है।