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    खुदीराम ने ब्रिटिश हुकूमत की छाती पर बम मारा

    ये कहानी 1905 से शुरू हुई जब 14 साल के लड़के ने आजाद भारत का सपना देखा। 1906 में अंग्रेजों ने उसे बंगाल विभाजन के खिलाफ हुई रैली से गिरफ्तार किया, जेल में जमकर पीटा। वो बाहर आया, बम बनाना सीखा और अगले ही साल 1907 में बंगाल के गवर्नर पर बम दे मारा। इतने में भी नहीं माना और जनवरी 1908 में दो अंग्रेज अधिकारियों पर बम फेंक कर फरार हो गया। इसके कुछ ही महीनों बाद 30 अप्रैल 1908 को जज डगलस किंग्सफोर्ड की बग्घी को बम से उड़ा दिया और गिरफ्तार हो गया।

    3 महीने बाद 11 अगस्त को महज 18 साल की उम्र में मुस्कुराते हुए फांसी चढ़ गया। धमाके में वो जज तो बच गया, लेकिन इस लड़के ने कितने ही चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह और अशफाकउल्ला को रास्ता दिखा दिया। इस रास्ते का नाम था खुदीराम बोस, सबसे कम उम्र का शहीद। वो शख्स जिसने सजा सुना रहे जज की आंखों में आंखें डालकर कह दिया था- ‘मैं आपको भी बम बनाना सिखा सकता हूं।’

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