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    साइबर अपराधियों के चपेट में पेंशनर, जीवित प्रमाण पत्र के नाम पर ऐसे कर रहे हैं स्कैम

    साइबर अपराधी अब साइबर करने का नया तरीका निकाला है। अब साइबर अपराधी पेंशनभोगियों को टारगेट कर रहे हैं। आपको बता दें कि नवंबर के महीने में बैंक में जीवित प्रमाण पत्र जमा करना होता है।

    साइबर जालसाजों ने निर्दोष लोगों को निशाना बनाने और उनकी गाढ़ी कमाई को ठगने का नया तरीका खोजा है। वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के तहत केंद्रीय पेंशन लेखा कार्यालय ने बताया कि साइबर धोखेबाज पेंशनभोगियों (पेंशनरों) को अपना डेटा प्राप्त करके अपने जीवन प्रमाण पत्र को अपडेट करने के लिए कह रहे हैं और पेंशनभोगियों को धोखाधड़ी कॉल से सावधान रहने के लिए सतर्क किया है। हाल ही में जारी कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है- कार्यालय के संज्ञान में आया है कि साइबर अपराधी पेंशनभोगियों को अपने जीवन प्रमाण पत्र को अपडेट करने के लिए नियुक्ति की तारीख, सेवानिवृत्ति की तारीख, पीपीओ नंबर, आधार संख्या, ई-मेल, पता, मासिक पेंशन, से जुड़ी सारी जानकारी मांगते हैं। इसके बाद साइबर अपराधी शिकार बनाने के लिए रास्ता तैयार करते हैं। 

    धोखेबाज पेंशनभोगियों को अपने डेटा के साथ बुलाते हैं

    पत्र में कहा गया है कि धोखेबाज पेंशनभोगियों को अपने डेटा के साथ बुलाते हैं ताकि उन्हें यह विश्वास दिलाया जा सके कि वह पेंशन विभाग से कॉल कर रहे हैं और पेंशनभोगियों से अपने जीवन प्रमाण पत्र को अपडेट करने के लिए ओटीपी साझा करने के लिए कहते हैं। एक बार जब उन्हें पेंशनभोगियों से ओटीपी प्राप्त हो जाता है तो धोखेबाज उनके बैंक खातों तक सीधे पहुंच जाते हैं और पेंशनभोगियों के खाते से राशि को धोखाधड़ी वाले खाते में स्थानांतरित कर देते हैं।

    इस संबंध में सभी पेंशनभोगियों को इस प्रकार की धोखाधड़ी कॉल से सावधान रहने के लिए आगाह किया जाता है और सूचित किया जाता है कि सीपीएओ की ओर से कोई भी व्यक्ति पेंशनरों को कोई विवरण पूछने या ओटीपी साझा करने के लिए नहीं कहता है। इसलिए सभी पेंशनभोगियों को सलाह दी जाती है कि इस तरह की धोखाधड़ी से बचने के लिए पेंशन के लिए किसी भी अपडेशन के लिए ओटीपी या कोई अन्य विवरण आदि साझा न करें।

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