भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक उज्जैल में स्थित महाकालेश्वर मंदिर भी है। इस मंदिर की महिमा का वर्णन पुराणों में भी किया गया है। महाकवि कालिदास ने भी मंदिर को भावनात्मक रूप से समृद्ध किया है। एक समय था, जब उज्जैन भारतीय समय की गणना का केंद्रबिंदु हुआ करता था और महाकाल को उज्जैन का पीठासीन देवता माना जाता था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी महाकाल कारिडोर का 11 अक्टूबर को उद्घाटन करेंगे, जिसके पहले चरण का काम पूरा हो गया है। दूसरे चरण का काम 2023-24 तक पूरा होगा।
महाकाल कारिडोर से उज्जैन को मिलेगी नई पहचान
महाकाल कारिडोर के बनने से धर्मनगरी उज्जैन को नई पहचान मिलेगी। भगवान शिव की जिन कथाओं का वर्णन महाभारत, वेदों और स्कंद पुराण के अवंतीखंड में मिलता है, वे कथाएं अब जीवंत हो उठेंगी। इसकी वजह यह है कि महाकालेश्वर मंदिर के नए बने महाकाल प्रांगण में इन कथाओं को दर्शाती हुई प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं।
महाकाल प्रांगण में करीब 200 छोटी-बड़ी मूर्तियां
हमारे देश के शिल्पकार सदियों से ऐसी मूर्तियां बनाते आ रहे हैं, जिसे देखकर दुनिया चकित रह जाती है। नवनिर्मित महाकाल प्रांगण में इसी श्रेष्ठता और गौरव को ध्यान में रखते हुए मूर्तियों को तैयार किया गया है। प्रांगण में छोटी-बड़ी करीब 200 मूर्तियां स्थापित की गई हैं। मूर्तियों को तैयार करने वाले कलाकारों ने पहले गहन शोध किया है। इनमें प्राचीनता और आधुनिकता दोनों का मिश्रण है।
माला के 108 मनकों की तरह बने हैं 108 स्तंभ
माला के 108 मनकों की तरह महाकाल प्रांगण में 108 स्तंभ बनाए गए हैं। इसकी वजह यह है कि सनातन धर्म में 108 अंक का बहुत महत्व है। इन पर भगवान भोलेनाथ और शक्ति के चित्र उकेरे गए हैं। इसके अलावा, कार्तिकेय और गणेश की लीलाओं को भी उकेरा गया है।