देश में 33 फीसदी विद्यार्थी परीक्षा और परिणाम की चिंता के कारण हमेशा दूसरों के मुकाबले दबाव में रहते हैं। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने सभी राज्यों में 3.79 लाख विद्यार्थियों पर मानसिक स्वास्थ्य एवं कल्याण को लेकर सर्वेक्षण के बाद यह खुलासा किया है।
सर्वे के अनुसार, 73 फीसदी बच्चे स्कूली जीवन से संतुष्ट हैं, जबकि 45 फीसदी शारीरिक छवि को लेकर तनाव में हैं। एनसीईआरटी ने बताया, बच्चे जब मध्य कक्षा से सेकंडरी कक्षा में गए, तो निजी और स्कूली जीवन को लेकर संतुष्टि की भावना में कमी देखी गई। सेकंडरी स्तर पर पहचान के संकट, रिश्तों को लेकर बढ़ती संवेदनशीलता, समकक्षों के दबाव, बोर्ड परीक्षा का डर, भविष्य में प्रवेश को लेकर चिंता और अनिश्चितता जैसी चुनौतियां देखने को मिलीं। सर्वेक्षण के परिणाम मंगलवार को जारी किए गए।
- 73 फीसदी बच्चे संतुष्ट हैं स्कूली जीवन से।
- 28 फीसदी को प्रश्न पूछने में होती है दिक्कत।
तीन महीने सर्वे, बच्चों की पहचान गोपनीय
एनसीईआरटी की मनोदर्पण इकाई को सर्वे की जिम्मेदारी दी गई थी। कक्षा छह से आठ और नौ से 12 के छात्र-छात्राओं को शामिल करते हुए जनवरी से लेकर मार्च 2022 तक यह सर्वे किया। सर्वे में बच्चों की पहचान गोपनीय रखी गई, जिसके कारण उन्हें अपनी बात कहने के लिए सही वातावरण मिला।
51 फीसदी को ऑनलाइन पढ़ाई में परेशानी
81 फीसदी बच्चों ने पढ़ाई, परीक्षा व परिणाम को चिंता की सबसे बड़ी वजह बताया। कुल बच्चों में 43 फीसदी ने कहा कि वह बदलाव को बहुत जल्द आत्मसात कर लेते हैं। इनमें सेकेंडरी स्तर के बच्चे 41 फीसदी, जबकि माध्यमिक स्तर के 46 फीसदी थे।