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    मानिकपुर पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल, क्या शुरुआत में बरती ढील, सवालों से बचते दिखे अधिकारी

     महाराष्ट्र के वसई पहुंची दिल्ली पुलिस को गवाहों के बयानों के अलावा कोई सबूत नहीं मिल रहे हैं. आरोप हैकि 12 अक्टूबर से 26 अक्टूबर तक आफ़ताब से कोई पूछताछ नहीं की गई. इस दौरान आफ़ताब को सबूत मिटाने का मौक़ा मिला.

    Shraddha Murder Case Investigation

    श्रद्धा मर्डर केस जांच के सिलसिले में अब मानिकपुर पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं. मानिकपुर पुलिस पर केस की शुरुआत में ढिलाई बरतने का आरोप लग रहा है. आरोप है कि 12 अक्टूबर को मानिकपुर पुलिस ने महले मिसिंग की शिकायत दर्ज नहीं की गई बाद में डीसीपी अधिकारी के हस्तक्षेप से कंपलेंट दर्ज हो सकी.

    इन वजहों से उठ रहे हैं सवाल

    आरोप है कि 12 अक्टूबर से 26 अक्टूबर तक आफ़ताब से कोई पूछताछ नहीं की गई. इस दौरान आफ़ताब को सबूत मिटाने का मौक़ा मिला. इतना ही नहीं आफ़ताब ने अपने परिवार को भी वसई इलाक़े से शिफ्ट कर दिया.

    मानिकपुर  पुलिस पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि गुमशुदगी का शिकायत दर्ज होने और आफ़ताब के बयान दर्ज होने में 20 दिन का समय लगा. इस दौरान आफ़ताब को सबूत मिटाने का पर्याप्त समय मिला. महाराष्ट्र के वसई पहुंची दिल्ली पुलिस को गवाहों के बयानों के अलावा कोई सबूत नहीं मिल रहे हैं. 

    मानिकपुर पलिस ने साधी चुप्पी

    वहीं लापरवाही से जुड़े सवालों पर मानिकपुर पुलिस कोई जवाब नहीं दे रही है. वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक संपत राव पाटील इन आरोपों पर चुप्पी साध ली है.

    इस बीच श्रद्धा मर्डर केस की जांच के सिलसिले में वसई गई दिल्ली पुलिस की टीम ने सोमवार को एक और शख्स का बयान दर्ज किया. दिल्ली पुलिस यहां अब तक 11 लोगों के बयान दर्ज कर चुकी है.

    बता दें आफताब अमीन पूनावाला पर अपनी ‘लिव-इन पार्टनर’ श्रद्धा वालकर (27) की 18 मई की शाम को कथित तौर पर गला घोंट कर हत्या कर देने और उसके शव के 35 टुकड़े करने का आरोप है. आफताब पर आरोप है कि उसने दक्षिण दिल्ली के महरौली में अपने आवास पर लगभग तीन सप्ताह तक 300 लीटर के फ्रिज में रखा तथा कई दिनों तक विभिन्न हिस्सों में फेंकता रहा.

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