चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें चुनावी बॉन्ड पर सीलबंद लिफाफे वापस करने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई की और एसबीआई से पूछा कि इलेक्टोरल बॉन्ड के नंबर्स क्यों नहीं जारी किए, ताकि दानदाता और राजनीतिक पार्टियों के बीच का लिंक पता चल सके। सुप्रीम कोर्ट ने 18 मार्च तक एसबीआई से इस मामले पर जवाब मांगा है।
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सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश के निर्देश
चुनाव आयोग के सीलबंद लिफाफे वापस करने की मांग पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि डाटा को स्कैन और डिजिटलीकरण किया जा रहा है, इसमें एक दिन का समय लग सकता है। जैसे ही पूरा डाटा स्कैन हो जाएगा, तो मूल डाटा को चुनाव आयोग को वापस कर दिया जाएगा। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि एसबीआई की तरफ से कौन पेश हुआ है? एसबीआई ने बॉन्ड नंबर जारी नहीं किए हैं। स्टेट बैंक को इनका खुलासा करना चाहिए। स्टेट बैंक को सारी जानकारी प्रकाशित करनी होगी।
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एसबीआई को चुनावी बॉन्ड के जानकारी प्रदान करने के लिए नोटिस जारी
चीफ जस्टिस ने कहा कि संविधान पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि एसबीआई को चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी, उन्हें कैश करने वाले राजनीतिक दल की जानकारी, चुनावी बॉन्ड खरीद की तारीख, चुनावी बॉन्ड खरीदने वाले यानी दानदाता की जानकारी और चुनावी बॉन्ड खरीद की तारीख और उन्हें कैश करने की तारीख की पूरी जानकारी देनी थी, लेकिन एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड के यूनिक अल्फा न्यूमेरिक नंबर की जानकारी नहीं दी है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब मांगा है। एसबीआई को 18 मार्च तक अपना जवाब देना है।
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चुनावी बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश
चुनावी बॉन्ड के खिलाफ याचिका दायर करने वाले एडीआर के वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कहा कि अदालत ने एसबीआई द्वारा चुनाव आयोग को मुहैया कराई गई जानकारी का मुद्दा उठाया है। एसबीआई द्वारा दी गई जानकारी में अल्फा न्यूमेरिक नंबर की जानकारी नहीं दी गई है, जिससे पता चलता कि किस व्यक्ति ने बॉन्ड खरीदा और वह बॉन्ड किसी राजनीतिक पार्टी ने कैश कराया। कोर्ट ने इस मामले में एसबीआई को नोटिस जारी कर मामले को सुनवाई के लिए सोमवार को लिस्टेड किया है।
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सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना पर लगा दी थी रोक
बीती 15 फरवरी को पांच जजों की संविधान पीठ ने केंद्र की इलेक्टोरल बॉन्ड्स योजना को असंवैधानिक बताते हुए इस पर रोक लगा दी थी। साथ ही कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना के एकमात्र फाइनेंशियल संस्थान एसबीआई बैंक को 12 अप्रैल 2019 से अब तक हुई इलेक्टोरल बॉन्ड की खरीद की पूरी जानकारी 6 मार्च तक देने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की याचिका पर सुनवाई की थी, जिसमें एसबीआई बैंक ने इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी साझा करने की समय सीमा 30 जून तक बढ़ाने की मांग की थी।
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