ओमप्रकाश तिवारी, तारापुर (पालघर)। Tarapur Atomic Power Station: एक ओर देश स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव (Amrit Mahotsav) मना रहा है, तो वहीं देश को ऊर्जा सामर्थ्य की राह दिखाने वाला तारापुर स्थित भारत का पहला परमाणु बिजलीघर (TAPS) भी आधी शताब्दी का सफर पूरा कर चुका है। यह न सिर्फ भारत, बल्कि पूरे एशिया का पहला परमाणु बिजलीघर (Atomic Power Station) है। अमेरिका और जर्मनी जैसे विकसित देशों ने अपने गर्म पानी के रिएक्टर (बीडब्ल्यूआर) को 30 साल बाद ही बंद कर दिया था। वहीं, तारापुर में 1969 में शुरू हुए ब्वायलिंग वाटर रिएक्टर के 60 साल से भी ज्यादा चलने की उम्मीद विज्ञानियों को है।
परिकल्पना से उत्पादन शुरू होने तक आसान नहीं रही है तारापुर संयंत्र की राह
डा. होमी जहांगीर भाभा का स्वप्न चरितार्थ करते हुए मुंबई से करीब 100 किलोमीटर दूर तारापुर में समुद्र के किनारे देश का पहला ब्वायलिंग वाटर रिएक्टर यानी गर्म पानी की भाप से चलने वाले रिएक्टर की शुरुआत फरवरी, 1969 में हुई थी। तब 210-210 मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता वाले दो बीडब्ल्यूआर परमाणु बिजलीघरों को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राष्ट्र को समर्पित किया था। करीब 15 साल पूरी क्षमता से काम करने के बाद 1985 से इन दोनों परमाणु रिएक्टरों को 160 मेगावाट उत्पादन क्षमता के साथ चलाया जा रहा है। इन दोनों रिएक्टरों की उम्र 50 साल होने के बाद इनमें कुछ सुधार लाने के लिए फिलहाल इनमें बिजली उत्पादन रोका गया है। तारापुर परमाणु बिजली घर के साइट डायरेक्टर एसएम मुलकलवार के अनुसार, उत्पादन पुन: शुरू होने के बाद ये रिएक्टर अभी एक दशक से ज्यादा समय तक सेवाएं देने में सक्षम हो सकते हैं।