पश्चिम बंगाल(West Bengal) की खाली छह विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव कराने की मांग को लेकर तृणमूल कांग्रेस(Trinamool Congress) का एक प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग(Election Commission) के अधिकारियों से आज मुलाकात करेगा।
तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने पश्चिम बंगाल की खाली छह विधानसभा सीटों के उपचुनाव कराने में देरी को लेकर नाराजगी जताई है।
वह जल्द से जल्द राज्य में उपचुनाव कराए जाने की मांग उठा रहा है।
दरअसल, पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री पद पर लगातार बने रहने के लिए ममता बनर्जी के लिए ये उपचुनाव महत्वपूर्ण हैं।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) पिछले विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम विधानसभा सीट (Nandigram Assembly Seat) से चुनाव हार गईं थीं।
मौजूद समय में वह विधानसभा की सदस्य नहीं हैं।
लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें 6 महीने के अंदर विधानसभा का सदस्य बनना होगा वरना उनकी कुर्सी पर संकट आ सकता है।
बंगाल में ममता बनर्जी को सीएम बने रहने के लिए नवंबर तक विधायक बनना जरूरी
दरअसल, संविधान के मुताबिक- यदि कोई व्यक्ति विधायक या सांसद नहीं है.
वह मंत्री पद पर आसीन होता है तो उसके लिए छह महीने के अंदर विधानसभा या विधानपरिषद या संसद के दोनों सदनों में से किसी एक सदन का सदस्य बनना अनिवार्य है।
यदि मंत्री ऐसा नहीं कर पाता है तो छह महीने बाद वह पद पर बना नहीं रह सकता।
ऐसे में ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए नवंबर तक विधायक बनना ही होगा।
राज्य में सत्तारूढ़ तृण्मूल के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर ने कहा है कि उपचुनाव कराने की मांग के साथ दिल्ली में पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल निर्वाचन आयोग के अधिकारियों से मुलाकात करगा।
उन्होंने कहा कि जब कोविड-19 चरम पर था तब विधानसभा चुनाव आठ चरणों में कराए गए थे।
एक जानकारी के मुताबिक, ममता बनर्जी भवानीपुर विधानसभा सीट से उप चुनाव लड़ना चाहती है।
यही कारण है कि तृणमूल कांग्रेस के नेताओं का प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से मिलने जा रहा है।
तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल में सुदीप बंदोपाध्याय के अलावा सुखेंदु शेखर रॉय, डेरेक ओ ब्रायन के अलावा दूसरे नेता भी मौजूद होंगे।