स्नान, दान और जप-तप की पौष पूर्णिमा का व्रत-पूजन रविवार से शुरू हो चुका है,जबकि स्नान-दान सोमवार को करना पुण्यकारी है। इसी दिन से संगम में स्नान करने के साथ त्याग-तपस्या का प्रतीक कल्पवास भी शुरू हो गया है।
पौष पूर्णिमा का स्नान तो रविवार की मध्यरात्रि से ही शुरू हो गया था, लेकिन श्रद्धालुओं का रेला उमड़ा भोर में चार बजे के बाद। इस बार भीड़ का चेहरा मकर संक्रांति के शाही स्नान से कुछ अलग था।
पौष पूर्णिमा पर प्रयागराज कुंभ में सोमवार को दूसरा बड़ा स्नान पर्व है। इस स्नान पर्व का प्रभाव दो दिन रहेगा।तब संत, महंत और नागा साधु आकर्षण का केंद्र थे। इस बार कल्पवासी और सिर-कांधे पर गठरी लिए ‘जय गंगा मइया, जय जमुना मइया’ गुनगुनाती भीड़।
इसके साथ ही संगम में पुण्य की डुबकी और फूल-अक्षत से भरी कागज की नाव का अर्पण।कुंभ के दूसरे प्रमुख स्नान पर्व पौष पूर्णिमा पर सोमवार सुबह नौ बजे तक लगभग बीस लाख श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई। उम्मीद है कि शाम तक 60 लाख लोग त्रिवेणी स्नान करेंगे।
इसके बाद शुरू होता रहा वापसी का सिलसिला और खुलती दान की पोटली। पंडितों को कोई अंजुरी से चावल दान कर रहा था तो कोई वस्त्रादि भेंट कर रहा था।
22 पांटून पुल भोर से ही हो गए थे खचाखच
-55 हजार सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए थे सुरक्षा में
-03 करोड़ स्नानार्थियों के मौनी अमावस्या पर आने की उम्मीद
इस तरह भीड़ का रेला त्रिवेणी रोड होते हुए शहर की ओर और पांटून पुल से अखाड़ों की तरफ बंटता रहा।इसी भीड़ में शामिल प्रयागराज के ही डांडी निवासी हौसला प्रसाद भीगे बदन ठंड से कंपकंपाते हुए कपड़े बदल रहे थे और ईश्वर को धन्यवाद दिए जा रहे थे कि उन्हें पौष पूर्णिमा पर कुंभ में स्नान का सौभाग्य प्राप्त हुआ। दिल्ली के सुभाष अग्रवाल एक न्यूज चैनल को बाइट दे रहे थे-‘पहले भी कुंभ नहाने आ चुका हूं।
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