एक ऐसा राष्ट्रपति चुनाव, जिसने कांग्रेस को दो धड़ों में बांट दिया। एक ऐसा राष्ट्रपति चुनाव, जिसकी वजह से प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पार्टी से बाहर कर दिया गया। एक ऐसा राष्ट्रपति चुनाव, जिसमें खुद राष्ट्रपति को कोर्ट में पेश होना पड़ा।
राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी स्पेशल सीरीज में आज बात, सबसे विवादित और दिलचस्प चुनाव की…
1969 का राष्ट्रपति चुनाव क्यों सबसे दिलचस्प बन गया, इसे जानने से पहले चलिए ऐसा होने की वजह जान लेते हैं…
![](https://www.orderofindia.com/wp-content/uploads/2022/07/general_elections_2019_g_660_102219031127.jpg)
मई 1969 में राष्ट्रपति जाकिर हुसैन का निधन हो गया। उपराष्ट्रपति वीवी गिरी कार्यवाहक राष्ट्रपति बने। उस समय तक उपराष्ट्रपति को ही राष्ट्रपति बनाने का चलन था, लेकिन कांग्रेस सिंडिकेट ने इस विचार को खारिज कर दिया। सिंडिकेट चाहती थी कि तत्कालीन लोकसभा स्पीकर नीलम संजीव रेड्डी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जाए। रेड्डी सिंडिकेट के करीबी माने जाते थे।
1969 में कांग्रेस संसदीय बोर्ड की बैठक में इंदिरा ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए दलित नेता जगजीवन राम का नाम सुझाया, लेकिन सिंडिकेट ने इसे खारिज कर दिया। आखिरकार वोटिंग से फैसला सिंडिकेट के पक्ष में रहा और नीलम संजीव रेड्डी को राष्ट्रपति पद के लिए कांग्रेस का उम्मीदवार घोषित कर दिया गया।