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    कोरोना महामारी ने दुनिया भर के युवाओं को मानसिक रूप से तोड़कर रख दिया है।

    अमेरिकन मेडिकल जर्नल जामा पीडियाट्रिक्स ने इसे लेकर 29 रिसर्च का एनालिसिस प्रकाशित किया है।

    80,879 युवाओं के सर्वे में पाया गया कि महामारी के दौरान बच्चों और किशोरों में डिप्रेशन और चिंता के मामले दोगुने हो गए हैं।

    यूरोप में यूनिसेफ की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, आत्महत्या युवाओं की मौत का दूसरा प्रमुख कारण है।

    दुनिया भर में सबसे ज्यादा परेशानी इटली के युवाओं को झेलनी पड़ रही है। महामारी शुरू होने के बाद यहां मेंटल हेल्थ से पीड़ित युवाओं की संख्या में रिकॉर्ड 64% का इजाफा हुआ है।

    इस खतरनाक ट्रेंड को साइकोलॉजिस्ट ने ‘साइकोपैंडेमिक’ नाम दिया है।

    इटैलियन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डेविड लैजारी कहते हैं, महामारी के दुष्प्रभावों से निकलने में सालों लगेंगे।

    वर्चुअल एजुकेशन की वजह से आपस में घुलमिल नहीं सके बच्चे

    इटली के शहर मिलान में न्यूरोसाइंस एंड मेंटल हेल्थ डिपार्टमेंट की डायरेक्टर क्लाउडिया मेंकासी बताती हैं कि वर्चुअल एजुकेशन के चलते बच्चे आपस में घुलमिल नहीं सके, जो उनके लिए बेहद जरूरी था।

    महामारी ने युवाओं को ग्रेजुऐशन और पहले प्यार जैसी जीवन की कुछ प्रमुख घटनाओं से महरूम कर दिया है।

    इस हालत में शोक, चिंता, तनाव स्वाभाविक भी है।

    इटली ने 2017 के बाद से आत्महत्या पर पब्लिक रिसर्च नहीं की है।

    खुद को नुकसान पहुंचाने वाले युवाओं की तादाद दोगुनी

    एक्सपर्ट्स के मुताबिक, डेटा की कमी इटली सरकार के बढ़ते सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दे को कम करके आंकने को दर्शाती है। नेशनल बोर्ड ऑफ साइकोलॉजिस्ट के मेंबर फुल्विया सिग्नानी और क्रिस्टियन रोमानिएलो ने इटली की हेल्थ मैगजीन में लिखा है।

    रोम में चाइल्ड हॉस्पिटल बम्बिनो गैसो की एक रिपोर्ट में पाया कि महामारी के दौरान आत्महत्या की कोशिशों।

    और खुद को नुकसान पहुंचाने वाले युवाओं की तादाद दोगुनी हो गई है।

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