महाराष्ट्र सरकार ने जन्माष्टमी से पहले राज्य की जनता को एक खास तोहफा दिया है. राज्य सरकार ने अब ‘दही हांडी’ को साहसिक खेल का दर्जा देने का फैसला किया है, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को विधानसभा में इस बारे में ऐलान किया. महाराष्ट्र में दही हांडी एक लोकप्रिय त्योहार है जिसमें हवा में लटके दही से भरे मिट्टी के बर्तन (हांडी) को तोड़ने के लिए ह्यूमन पिरामिड बनाया जाता है. कई बार पिरामिड की हाइट काफी ऊंची होती है और वहां ऊपर चढ़े ‘गोविंदा’ को नीचे गिरने की वजह से कई बार चोट भी आती है. सरकार ने इन गोविंदा के लिए भी 10 लाख का इश्योरेंस कवर तय करने का ऐलान किया है.
चोटिल होने पर सरकार देगी मुआवजा
दही हांडी खेल के युवा प्रतिभागियों को गोविंदा कहा जाता है और इन गोविंदा को सरकार नौकरियों में आवेदन के दौरान स्पोर्ट्स कोटा भी दिया जाएगा. दही हांडी के त्योहार को मनाते वक्त घायल होने वाले खिलाड़ियों या फिर उनके परिवारों को मुआवजा भी दिया जाएगा. मुख्यमंत्री शिंदे ने त्योहार से एक दिन पहले कहा कि इस साल बिना किसी पाबंदी के पर्व मनाया जाएगा.
शिंदे ने विधानसभा में कहा, ‘महाराष्ट्र सरकार ने दही हांडी उत्सव के लिए बनाए जाने वाले ह्यूमन पिरामिड को साहसिक खेल के रूप में मान्यता देने का फैसला किया है. इस मान्यता के साथ पर्व में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ी स्पोर्ट्स कोटा के तहत सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने के योग्य हो जाएंगे.’ शिंदे ने कहा कि ह्यूमन पिरामिड के निर्माण के दौरान किसी प्रतिभागी की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु होने पर उसके परिजनों को राज्य सरकार की ओर से मुआवजे के रूप में 10 लाख रुपये मिलेंगे, साथ ही गंभीर रूप से घायल होने वाले खिलाड़ी को सात लाख रुपये और फ्रैक्चर वाले खिलाड़ी को पांच लाख रुपये दिए जाएंगे.
धूमधाम से त्योहार मनाने की तैयारी
एकनाथ शिंदे ने कहा कि राज्य सरकार ‘गोविंदा’ (प्रतिभागियों) को चोट लगने की स्थिति में उनके इलाज का खर्च भी वहन करेगी. दो साल की पाबंदियों के बाद इस बार दही हांडी उत्सव को राज्य में बड़े पैमाने पर मनाया जाएगा क्योंकि सरकार ने सभी कोरोनो संबंधी प्रतिबंधों को हटा दिया है. त्योहार में गोविंदा के ग्रुप शहरों में घूमते हैं और दही हांडी को तोड़कर इनाम जीतने के लिए एक-दूसरे के साथ होड़ करते हैं.