चुनाव आयोग द्वारा एकनाथ शिंदे गुट को पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न दिए जाने के बाद मंगलवार को एकनाथ शिंदे को शिवसेना का नया प्रमुख चुन लिया गया। मुंबई में हुई पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक में शिंदे के नाम की घोषणा शिवसेना प्रमुख के रूप में की गई और इस बैठक में शिवसेना के सभी नेता शामिल हुए। जब से शिंदे ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी से नाता तोड़ा है, तब से वे सभी उनके साथ काम कर रहे हैं। महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री उदय सामंत ने बताया कि आज हमने सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बैठक की। एकनाथ शिंदे हमारी शिवसेना पार्टी के प्रमुख होंगे। हम उन्हें शिवसेना के नेता के रूप में स्वीकार करते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस दौरान कई प्रस्ताव पेश किए गए।
बैठक में पेश किए गए अहम प्रस्ताव
- वीर सावरकर को भारत रत्न देने का प्रस्ताव भी बैठक के दौरान लाया गया।
- चर्चगेट रेलवे स्टेशन का नाम पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री चिंतामनराव देशमुख के नाम पर करने का प्रस्ताव।
- राज्य में सभी परियोजनाओं में 80 फीसदी रोजगार भूमिपुत्रों, स्थानीय युवाओं को देने का प्रस्ताव।
- मराठी भाषा को कुलीन भाषा का दर्जा देने की मांग।
- यूपीएससी और एमपीएससी के लिए मराठी छात्रों को मजबूत समर्थन देने के प्रस्ताव लाया गया।
इससे पहले उद्धव ठाकरे गुट को एक और बड़ा झटका लगा है। एकनाथ शिंदे गुट ने संसद भवन में शिवसेना को आवंटित कार्यालय भी दिलवा दिया। लोकसभा सचिवालय ने अपने आदेश में कहा है कि संसद भवन का कमरा नंबर 128 शिवसेना संसदीय दल को कार्यालय के रूप में आवंटित है. इससे पहले चुनाव आयोग ने 17 फरवरी को उद्धव ठाकरे के गुट के बजाय एकनाथ शिंदे के खेमे को शिवसेना का नाम और पार्टी का चुनाव चिह्न सौंपा था।
‘शिंदे गुट की बजाय शिवसेना कहें’
वहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाले शिवसेना धड़े की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले इस गुट ने मीडिया से उसे शिवसेना कहने को कहा। मीडिया घरानों को इससे जुड़ा एक पत्र भी जारी किया गया। पत्र पार्टी सचिव संजय भौराव मोरे ने जारी किया गया। पत्र में कहा गया कि निर्वाचन आयोग के आदेश के अनुसार शिंदे गुट कहने के बजाय उसे शिवसेना कहा जाना चाहिए।
उद्धव ठाकरे खेमे की कोर्ट से अपील
शिवसेना के उद्धव ठाकरे नीत खेमे ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे और उनके खेमे के शिवसेना विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता कार्यवाही पर फैसला किया जाए। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने कहा कि संविधान की लोकतांत्रिक भावना को कायम रखने का यही एकमात्र तरीका होगा। पार्टी ने महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल बी एस कोश्यारी के पिछले साल शिंदे को ऐसे समय में मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाने के फैसले पर सवाल उठाया, जबकि उनके तथा अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता कार्यवाही विधानसभा उपाध्यक्ष के समक्ष लंबित थी।