शिवमहापुराण कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने रायसेन के जिस शिव मंदिर का जिक्र व्यासपीठ से किया था, उसका ताला इतनी आसानी से नहीं खुल पाएगा। क्योंकि, इसका ताला खुलता है, तो पूरे देश पर असर पड़ेगा। इसके बाद देश की तमाम संरक्षित स्मारकों को खोलने की मांग शुरू हो जाएगी। इसका खुलासा आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के नियमों की पड़ताल में हुआ है। यहां का नियम ऐसा है कि पूर्व सीएम उमा भारती मंदिर के अंदर जाकर जलार्पण करना चाहें, तो भी नहीं कर सकतीं।
ASI के एक रिटायर्ड अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि रायसेन किले के शिव मंदिर का ताला खुलने का असर विश्व प्रसिद्ध आगरा के ताजमहल, दिल्ली के कुतुब मीनार जैसे अन्य धार्मिक स्मारकों पर भी पड़ेगा।
जहां अभी किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधियां करने पर प्रतिबंध है।
ऐसे में देश में अन्य जगहों से भी धार्मिक आयोजन करने की मांग उठने लगेगी।
रायसेन शिव मंदिर का ताला खुलने का असर विश्व प्रसिद्ध आगरा के ताजमहल पर भी पड़ेगा
कलेक्टर को प्रस्ताव बनाकर विभाग को भेजना होगा
भक्तों के दर्शन के लिए रायसेन फोर्ट स्थित शिव मंदिर का ताला खोलने के लिए जिला कलेक्टर को इसका प्रस्ताव प्रदेश के संस्कृति विभाग को भेजना होगा। यहां से यह प्रस्ताव आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के डीजी को भेजा जाएगा। जहां इस प्रस्ताव को AM एंड ASR एक्ट 1957 (द एंसिएंट मोन्यूमेंट्स एंड आर्कियोलॉजिकल साइट्स एंड रिमेन्स) की कसौटियों पर जांचने के बाद फैसला होगा।
केंद्र सरकार को एक्ट में संशोधन करना पड़ेगा
ASI के रिटायर्ड अफसर ने बताया कि रायसेन किले में स्थित शिव मंदिर का ताला खोलने के लिए AM एंड ASR एक्ट 1957 में संशोधन करना पड़ेगा।
इसके बाद एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव संसद में रखा जाएगा।
यहां एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव पारित होने पर शिव मंदिर का ताला खोले जाने की कार्रवाई शुरू होगी।
ASI की कस्टडी में आने के पहले जो एक्टिविटी होती थी… वह सभी होंगी
AM एंड ASR एक्ट 1957 के नियमों के अनुसार संरक्षित स्थल पर उन्हीं गतिविधियों की अनुमति होती है|
जो संरक्षित स्थल के ASI के हैंडओवर होने के पहले होती थी।
इससे अलग कोई भी एक्टिविटी संबंधित संरक्षित स्थल पर एक्ट के अनुसार नहीं की जा सकती।