लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे देश के नए सेना प्रमुख होंगे। नागपुर से आने वाले मनोज पांडे देश के पहले ऐसे आर्मी चीफ हैं, जो इंजीनियरिंग कोर से आते हैं। वे 30 अप्रैल को रिटायर हो रहे वर्तमान आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे की जगह पदभार ग्रहण करेंगे। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज को आर्मी चीफ बनाए जाने के ऐलान के बाद से उनके नागपुर स्थित घर पर जश्न का माहौल हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे के पिता डॉ. सीजी पांडे एक नामचीन मनोचिकित्सक थे और कई साल तक नागपुर विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में हेड के रूप में कार्यरत रहे। उनकी माता प्रेमा पांडे ऑल इंडिया रेडियो में अनाउंसर थीं। लेफ्टिनेंट जनरल की माता जी अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके द्वारा पेश किया जाने वाले ‘बेला के फूल’ कार्यक्रम आज भी नागपुर के लोग याद करते हैं। डॉ. सीजी पांडे अब काफी बुजुर्ग हो चुके हैं और वे नागपुर यूनिवर्सिटी कैंपस में ही रहते हैं। मनोज पांडे साल में कई बार पिता से मिलने आते हैं।
केंद्रीय विद्यालय के अनुशासन को देख हुए आकर्षित
घर में सैन्य पृष्ठभूमि न होने के बावजूद उनके सेना में जाने की कहानी बेहद दिलचस्प है। पांडे परिवार शहर से दूर नागपुर यूनिवर्सिटी कैंपस में रहता था। उनके घर के आसपास कोई बड़ा स्कूल नहीं था। हालांकि, घर से कुछ दूरी पर वायु सेना नगर में एक केंद्रीय विद्यालय था, लेकिन उसमें बाहरी स्टूडेंट्स के लिए कोई प्रवेश नहीं था। उनके पिता डॉ. पांडे ने वायु सेना के अधिकारियों से मनोज को स्कूल में दाखिला देने के लिए अनुरोध किया, जिसे उन्होंने मान लिया। यहां पढ़ने के दौरान उन्होंने सेना का अनुशासन देखा और यहीं से मन बनाया कि वे भी आर्मी ज्वाइन करेंगे।
नागपुर विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में हेड के रूप में कार्यरत रहे।
यहीं पढ़ने के दौरान 11वीं कक्षा में पढ़ते हुए उन्होंने केंद्रीय लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की और एनडीए में शामिल हो गए। वहां तीन साल का कोर्स पूरा करने के बाद उन्होंने मिलिट्री इंजीनियरिंग कॉलेज, देहरादून से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। इसके बाद 1982 में वह बॉम्बे सैपर्स आर्मी इंजीनियरिंग सर्विस में शामिल हुए।
अच्छे क्रिकेटर रहे हैं मनोज पांडे
1962 में पैदा हुए मनोज पांडे एक अच्छे क्रिकेटर रह चुके हैं।
स्कूल के दिनों में अंडर-19 टीम से विदर्भ के लिए भी खेल चुके हैं।
मनोज पांडे को देश के सभी हिस्सों में सेवा करने का अनुभव है।
उन्होंने इथियोपिया और एरीशिया में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में भी काम किया है।
उन्होंने कारगिल में डिवीजनल कमांड के अपने प्रभारी के रूप में उल्लेखनीय काम किया है।
उनकी सेवाओं के सम्मान में, पांडे को विशिष्ट सेवा पदक से भी सम्मानित किया गया है।
परिवार के कई सदस्य सेना से जुड़े रहे
उनके छोटे भाई संकेत पांडे भी सेना में कर्नल रहे और कुछ साल पहले सेवानिवृत्त हुए हैं।
सबसे छोटे भाई डॉ. केतन पांडे वर्तमान में ब्रूनेई के राजा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं।
मनोज पांडे के बेटे अक्षय और उनकी पत्नी सौम्या सिंह भी सेना में हैं|
वर्तमान में वायु सेना में पायलट हैं।