मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज यानी मंगलवार को मेरठ आएंगे। वह क्रांति दिवस के अवसर पर 1857 की क्रांति के वीरों को नमन करेंगे। मुख्यमंत्री हेलिकॉप्टर से शाम 4:25 बजे पुलिस लाइन पहुंचेंगे। इसके बाद शहर में करीब सवा चार घंटे तक कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। रात 8:40 बजे कार से हिंडन एयरपोर्ट जाएंगे। यहां से 9:45 बजे राजकीय विमान से लखनऊ के लिए रवाना होंगे।
66 करोड़ से अधिक की परियोजनाओं का करेंगे लोकार्पण और शिलान्यास
मुख्यमंत्री योगी मेरठ में 66 करोड़ 71 लाख रुपए की 18 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे। इसके बाद आयुक्त सभागार में मेरठ मण्डल के विकास कार्यों एवं कानून-व्यवस्था के संबंध में समीक्षा बैठक करेंगे। बैठक में बुलन्दशहर, गाजियाबाद, हापुड़, गौतमबुद्धनगर एवं बागपत के अधिकारी ऑनलाइन जुड़ेंगे। CM इण्टीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेण्ट सिस्टम, दिल्ली से मेरठ को जोड़ने वाली रेल परियोजना रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम को भी देखेंगे।
मेरठ में 66 करोड़ 71 लाख रुपए की 18 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे
शहीद स्मारक पर होगा लाइट एंड साउंड शो
शहीद स्मारक पर मंगलवार शाम को लाइट एंड साउंड शो का आयोजन किया गया है। जिसका शुभारंभ सीएम योगी करेंगे। इस शो में 1857 की क्रांति की गाथा को लाइट एवं संगीत के जरिए सुनाया जाएगा। आखिर में विक्टोरिया पार्क मैदान जाएंगे जो 1857 की क्रांति के समय विक्टोरिया जेल थी। जहां भारतीय सैनिकों को बंधक बनाकर रखा गया। CM इस मैदान में जाकर शहीदों को नमन करेंगे। साथ ही यहां पुष्पांजलि कार्यक्रम में भाग लेंगे। इसके बाद देर रात मुख्यमंत्री गाजियाबाद हिंडन एयरपोर्ट होते हुए लखनऊ जाएंगे।
10 मई को फूटी थी आजादी की पहली चिंगारी
1857 में मेरठ से अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की चिंगारी फूटी थी।
इतिहासकारों की मानें तो उस दिन रविवार था।
भारतीय सैनिकों ने अंग्रेजी अफसरों के सामने गाय की चर्बी लगे कारतूसों को मुंह से खींचने का विरोध किया।
जिसके बाद अंग्रेजों ने 85 सैनिकों का कोर्ट मार्शल किया।
इसके चलते जनता में अंग्रेजों के खिलाफ विरोध फूट पड़ा।
मेरठ से शुरू हुई क्रांति धीरे-धीरे कानपुर, बरेली, झांसी और अवध तक फैल गई।
उस समय सैन्य विद्रोह के रूप में शुरू हुई क्रांति ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जनव्यापी विद्रोह में बदल गई।
इस लड़ाई में मेरठ के पांचली के रहने वाले धन सिंह गुर्जर सदर बाजार थाने के कोतवाल थे।
24 अप्रैल को 85 भारतीय सैनिकों की परेड कराई गई।
नौ मई 1857 को उन्हें सजा सुनाई गई।
उसके बाद भारतीय सैनिकों को जेल भेज दिया गया।
इससे नाराज होकर 10 मई की शाम को जनता ने अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ बगावत शुरू कर दी।
उस समय कोतवाल धन सिंह गुर्जर ने अपने साथ भारतीय सैनिकों को लेकर जेल पर हमला कर दिया।