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    गाजियाबाद: कुत्ते के काटने से बच्चे की मौत, पिता की गोद में तड़प-तड़पकर तोड़ा दम

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    गाजियाबाद में स्थित विजयनगर की चरण सिंह कॉलोनी में एक 14 वर्षीय किशोर की मौत हो गई, जिसे कुत्ते ने डेढ़ महीने पहले काट दिया था। तीन दिन पहले, रेबीज के कारण बच्चे की हालत बिगड़ गई थी। उसके पिता ने उसे इलाज के लिए गाजियाबाद के एमएमजी अस्पताल से लेकर दिल्ली के जीटीबी और एम्स अस्पताल तक भटकाया, लेकिन डॉक्टरों ने उसकी स्थिति को लाइलाज घोषित कर दिया। सोमवार रात, किशोर ने एंबुलेंस में ही अपने पिता की गोद में तड़प-तड़प कर अपनी आत्मा छोड़ दी।

    मूलरूप से बुलंदशहर के ताजपुर निवासी बच्चे के दादा मतलूब अहमद ने बताया कि उनका बड़ा पोता शाहवेज (14) कक्षा 8 में पढ़ता था। एक सितंबर को शाहवेज को पानी से डर लगने लगा और खाना भी बहुत कम कर दिया था। कभी-कभी उसके मुंह से कुत्ते के भौंकने जैसी आवाज भी आती थी। उसे पास में ही एक डॉक्टर को दिखाया तो उसने रेबीज के लक्षण बताते हुए दिल्ली के अस्पताल ले जाने की सलाह दी। 

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    शाहवेज को दिल्ली के जीटीबी ले गए थे। वहां रेबीज की पुष्टि कर लाइलाज बता उपचार करने से इनकार कर दिया। शाहवेज को लेकर एम्स, एलएनजेपी और पंत अस्पताल में लेकर भटकते रहे। सभी अस्पतालों ने इलाज करने से इनकार कर दिया। इसके बाद वह बुलंदशहर के ताजपुर में उसे एक वैद्य के पास लेकर गए, लेकिन वह ठीक नहीं हो पाया। सोमवार रात उसकी मौत हो गई। शाहवेज के पिता याकूब फेरी लगाकर कबाड़ी का काम करते हैं, जबकि मां निजी एक्सपोर्ट कंपनी में नौकरी करती है।

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    गाजियाबाद: छुपाए रखी कुत्ते काटने की घटना

    मतलूब अहमद ने बताया कि शाहवेज ने पूछने पर बताया था कि डेढ़ महीना पहले पड़ोस में रहने वाली महिला के घर के बाहर कुत्ते ने काट लिया था। परिजनों से डांट के डर के कारण उसने घर में किसी को नहीं बताया। एक सितंबर को उसकी हालत बिगड़ने लगी। वह पानी और रोशनी से डरने लगा। अंधेरे में रहता था। कुत्ते के भौंकने जैसी आवाजें निकालने लगा था। इसके बाद डॉक्टरों के पास लेकर गए तो रेबीज के लक्षण का पता चला। अब परिजनों को भी पछतावा हो रहा है कि शाहवेज ने कुत्ते के काटने की जानकारी पहले दे दी होती तो उसे एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवा देते और आज वह जिंदा होता।

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    ताजपुर में किया सुपुर्द-ए-खाक

    पड़ोस में रहने वाले रिजवान ने बताया कि शाहवेज की मौत के बाद, उसके परिजन ने उसके शव को उनके पैतृक गांव बुलंदशहर के ताजपुर ले जाने का निर्णय लिया। परवेज ने यह बताया कि शाहवेज एक हंसमुख और शिक्षा में तेज छात्र थे। डर के कारण, उन्होंने घर में कुत्ते के काटने की घटना को नहीं बताई, और वे खुद ही अपने घाव पर मिर्ची बांधते रहे।

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