जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले, श्रीनगर में याचिकाओं को चुनौती देने वाली सुरक्षा में वृद्धि हो गई है। आपको बता दें कि अनुच्छेद 370 व 35ए को हटाने संबंधी याचिकाओं पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की ओर से फैसला सुनाए जाने के मद्देनजर पूरी घाटी में पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। जम्मू में भी व्यापक प्रबंध किए गए हैं। खासकर सोशल मीडिया पर नजर रखी जा रही है। इस बीच पूरी घाटी में सुरक्षा बलों के काफिले की रवानगी पर रोक लगा दी गई है।
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साथ ही वीआईपी की सुरक्षा में लगे काफिले पर भी रोक लगा दी गई है। घाटी में कुछ शरारती तत्वों को उठाया गया है, ताकि किसी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न न हो। आईजी कश्मीर की ओर से सेना के साथ ही बीएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, एसएसबी तथा अन्य सुरक्षा बलों के अधिकारियों व सभी पुलिस प्रमुखों को संदेश भेजकर कहा गया है कि जम्मू-श्रीनगर हाईवे तथा अन्य हाईवे पर कोई भी काफिला नहीं निकलेगा।
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पूरे दिन ड्राई डे रहेगा। इसके साथ ही वीआईपी तथा सुरक्षा प्राप्त व्यक्तियों के काफिले को निकलने से पूरी तरह बचने को कहा गया है। आईजी वीके बिर्दी ने बताया कि हम घाटी में किसी भी हालात में शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। सभी प्रकार के एहतियात बरते जा रहे हैं। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि कश्मीर में शांति व्यवस्था भंग न होने पाए। इस बीच अफवाह फैलाने के आरोप में एक न्यूज पोर्टल के दो संस्थापक सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है।
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अनुच्छेद 370 के समाप्त होने पर सुरक्षा समीक्षा
पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि शांति को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की गई है। दो हफ्तों में घाटी के 10 जिलों में सुरक्षा समीक्षा बैठकें करने वाले बिर्दी ने कहा कि हम सभी सावधानियां बरत रहे हैं और यह सुनिश्चित करेंगे कि कश्मीर में शांति भंग न हो। उन्होंने कहा कि कुछ तत्वों द्वारा पोस्ट कर लोगों को भड़काने की कोशिश की गई है।
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ऐसे तत्वों के खिलाफ पहले भी कार्रवाई की गई है, जो आगे भी जारी रहेगी। यहां के अधिकारियों ने सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील या आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा देने वाली किसी भी सामग्री के प्रसार को रोकने के लिए सीआरपीसी की धारा 144 के तहत सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। दिशानिर्देशों का उद्देश्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर आतंकवाद, अलगाववाद, धमकियों, धमकी या सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील सामग्री का उपयोग करते समय नागरिकों द्वारा उठाए जाने वाले कदमों पर स्पष्टता प्रदान करना है।