• Tue. Nov 5th, 2024

    Ram Mandir: रामनगरी के 3500 वर्षों के मिले पौराणिक सबूत

    Ramnagari

    मुग़ल साम्राज्य से काफी पहले ही, रामनगरी की चमक और दमक का इतिहास है, जैसा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के अध्ययन के अनुसार प्रकट होता है। अयोध्या के संबंध में जो आज से 3500 वर्ष पहले के पौराणिक, धार्मिक, और ऐतिहासिक घटनाओं की जानकारी है, वह अध्ययन के आगे बढ़ने पर और भी प्राचीन साक्षात्कार प्रदान कर सकती है।

    यहां तक कि अयोध्या से जुड़े प्रमाण उस समय के हैं, जब मुग़लों का भारत में अस्तित्व नहीं था। मुग़ल वंश 1500 के बाद भारत में आया था। 1968 में जन्मभूमि के 500 मीटर के दायरे की खुदाई से प्राप्त साक्षात्कारों का नक्शा बीएचयू में सुरक्षित है। इस नक्शे की तैयारी जापान से की गई थी और यह अब प्रमाणित हो चुका है।

    Also read:Gangster Sharad Mohol shot dead in Pune, probe on


    भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई): बीएचयू के पुरातत्वविदों के साक्षात्कार का समर्थन


    बीएचयू के पुरातत्वविदों द्वारा की गई खोदाई से प्राप्त साक्षात्कार में प्रो. ओंकारनाथ और डॉ. अशोक सिंह का कहना है कि डॉ. बीबी लाल ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के मार्गदर्शन में खोदाई की, जिससे उन्हें रामनगरी उनीसवीं सदी के विष्णु मंदिर की जानकारी मिली, और मिट्टी के विशेष बर्तन भी मिले, जिनका प्रयोग विशिष्ट व्यक्तियों द्वारा किया जाता था। इस से यह सिद्ध होता है कि बीएचयू के खोदाई काम से मिले साक्षात्कार भी एएसआई के निर्देशन में किए गए काम को समर्थन करते हैं।

    Also read:पीएम मोदी के लक्षद्वीप दौरे से मालदीव की , महिला मंत्री ने की विवादित टिप्पणी

    बीएचयू के पुरातत्व विभाग के शिक्षकों द्वारा 1968 में अयोध्या में की गई खोदाई: अनमोल पुरावशेषों की खोज

    बीएचयू के प्राचीन इतिहास विभाग में शिक्षक रहे दिवंगत प्रो. एके नारायण, दिवंगत प्रो. पुरुषोत्तम सिंह और दिवंगत डॉ. त्रिभुवन नाथ राय ने 1968 में पहली बार अयोध्या में खोदाई कराई तो काले चमकीले बर्तन, मिट्टी के दूसरे बर्तन सहित अन्य पुरावशेष मिले थे। इनमें कनक भवन, सुग्रीव टीला के आसपास काम हुआ।

    Also read:कोरोना मामलों में कुल सक्रिय मामले 4,309 हो गए

    Share With Your Friends If you Loved it!