चंद्रयान-3 के तीन बड़े लक्ष्य हैं। इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए चंद्रयान को 14 दिन का वक्त मिलेगा और इसमें सात हथियार मदद करेंगे। इसरो के लक्ष्याें में पहला, चंद्र सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग की क्षमता प्रदर्शित करना। दूसरा, रोवर प्रज्ञान को चंद्रमा पर भ्रमण का प्रदर्शन और तीसरा वैज्ञानिक प्रयोग को अंजाम देना। लक्ष्य हासिल करने में लैंडर व रोवर में सात पेलोड लगे हैं।
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चांद के अतीत में झांकेंगे लैंडर विक्रम पर तैनात 4 पेलोड
चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम पर लगाए गए चार पेलोड खासतौर पर चांद के भूभौतिकीय व भूगर्भीय संरचना को समझने के लिए आंकड़े जुटाएंगे, जो एक तरह से चांद के अतीत में झांकने जैसा है।
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- रेडियो एनाटॉमी ऑफ मून बाउंड हाइपरसेंसटिव आयनोस्फियर एंड एटामोस्फियर (रंभा) नाम का पेलोड चांद की सतह के निकट प्लाज्मा (आयन और इलेक्ट्रॉन) के घनत्व और इसमें समय के साथ हुए बदलाव को मापेगा। इससे यह पता चलेगा कि चांद की सतह पर जमी धूल जले हुए बारूद जैसी क्यों हो गई है।
- चंद्र सरफेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट (चास्टे) पेलोड सतह के तापीय गुणों का अध्ययन करेगा।
- इंस्ट्रूमेंट फॉर लूनर सिस्मिक एक्टिविटी (आईएलएसए) भूकंपीय गतिविधियां मापते हुए चंद्रमा के क्रस्ट और मेंटल की संरचना के आंकड़े जुटाएगा।
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- लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर ऐरे (एलआरए) चंद्रमा की गतिकीय प्रणाली समझेगा। रोवर प्रज्ञान बताएगा चांद की मौलिक संरचना
- रोवर प्रज्ञान पर दो पेलोड लगाए गए हैं। लेजर इंड्यूश्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (एलआईबीएस) के जरिये चंद्रमा की सतह पर मौजूद तमाम तत्वों का गुणात्मक, मात्रात्मक व रासायनिक विश्लेषण किया जाएगा। चंद्रमा को डीप स्पेस स्टेशन के तौर पर इस्तेमाल करने के लिहाज से यह अहम साबित होगा।
- अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (एपीएक्सएस) लैंडिंग साइट के आसपास चंद्रमा की धूल और चट्टानों की मौलिक संरचना का पता लगाएगा। खासतौर धूल में मैग्नीशियम, एल्युमीनियम, सिलिका, पोटेशियम, कैल्शियम, टाइटेनियम व आयरन की मौजूदगी का पता लगाएगा। प्रोपल्शन मॉड्यूल पृथ्वी जैसे ग्रहों की खोज करेगा
- इसरो अपने अभियानों को किफायती बनाने के लिए मशहूर है। चंद्रयान-3 भी इसकी लाजवाब मिसाल है।
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प्रोपल्शन मॉड्यूल आमतौर पर स्पेस में बेकार छोड़ दिए जाते हैं। लेकिन Chandrayaan-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल बहुत अलग है। चंद्रमा की कक्षा में परावर्तित प्रकाश के माध्यम से, स्पेक्ट्रोपोलरिमीट्री ऑफ हैबिटेबल प्लेनेट अर्थ (शेप) पेलोड पृथ्वी का अध्ययन करेगा और पृथ्वी से समान ग्रहों की खोज करेगा।
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अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत नेतृत्वकर्ता
भारत इस समय नेतृत्व कर रहा है, खासतौर पर अंतरिक्ष क्षेत्र में सरकार की नीतियों के मामले में। उन्होंने पीएम मोदी के विजन व परियोजनाओं को सराहा। कहा, भारत का नजरिया अपनी मानव पूंजी को बेहतर ढंग से उपयोग करने को लेकर साफ है। अंतरिक्ष के व्यावसायिक उपयोग के लिहाज से भी यह बड़े बदलाव ला सकता है।
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विश्व के नेताओं ने चंद्रयान-3 की सफलता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी
जोहानिसबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान रात्रि भोज में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना सहित विश्व के कई नेताओं ने चंद्रयान-3 की सफलता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी। वहीं, पीएम मोदी ने चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग पर शुभकामनाओं के लिए विश्व नेताओं का आभार व्यक्त किया।
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