मोबाइल डिवाइस इंडस्ट्री बॉडी (ICEA) ने गुरुवार को कहा कि मोबाइल फोन के लिए कॉमन चार्जर आने से सस्ते डिवाइसों की कीमतों में 150 रुपये की वृद्धि होगी और इससे भारत में एडेप्टर की निर्यात क्षमता सीमित हो जाएगी. ICEA ने कहा कि मोबाइल फोन प्लेयर्स ने पहले ही चार्जिंग पोर्ट को केवल दो प्रकार के चार्जिंग पॉइंट – माइक्रो USB और USB टाइप C तक कम कर दिया है.
गौरतलब है कि ICEA में ऐपल, Foxconn, वीवो और लावा के सदस्य शामिल हैं. इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को एक प्रेजेंटेशन में बताया गया कि लैपटॉप चार्जर्स में अभी भी 9-10 प्रकार के चार्जिंग पोर्ट हैं, जिनकी संख्या घटाकर लगभग दो करने की आवश्यकता है, जैसे कि मोबाइल डिवाइस उद्योग में है.
कंपनियों दे रही हैं दो प्रकार के चार्जर
ICEA प्रमुख पंकज मोहिंदरू ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा कि माइक्रो यूएसबी और यूएसबी टाइप-सी चार्जर की कीमत के बीच लगभग 150 रुपये प्रति यूनिट का अंतर है. 90 फीसदी से अधिक स्मार्टफोन में माइक्रो यूएसबी और यूएसबी टाइप सी चार्जर दिया गया है. अब 2 फीसदी से भी कम फोन्स में माइक्रो टाइप बी, लाइटनिंग चार्जर मिलते हैं. उन्होंने कहा कि मोबाइल फोन कंपनियां पहले ही चार्जर की संख्या को दो प्रकार का कर चुकी हैं.
बढ़ रहा है मोबाइल चार्जर का निर्माण
आईसीईए के अनुसार भारत में मोबाइल चार्जर का निर्माण बढ़ रहा है और उद्योग अगले पांच वर्षों में वैश्विक बाजार में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर सकता है. आईसीईए ने सरकार को अपनी प्रेजेंटेशन में बताया कि मोबाइल फोन चार्जर को केवल एक प्रकार के चार्जिंग पोर्ट तक सीमित करने से देश की निर्यात क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
सी टाइप चार्जर की ओर बढ़ रहे हैं डिवाइस
पंकज मोहिंदरू चार्जिंग पोर्ट इकोसिस्टम काफी हद तक rationalised हो गया है. अधिकांश फीचर फोन लगभग 375 मिलियन माइक्रो-यूएसबी का उपयोग करते हैं, जबकि लगभग 500 मिलियन फोन यूएसबी-सी का उपयोग करते हैं. लो पावर वाले डिवाइस जैसे हियरेबल / वियरेबल, ब्लूटूथ स्पीकर आदि डिवाइस भी हाइअर-एंड आइटम्स के लिए यूएसबी-सी की ओर बढ़ रहे हैं.